scriptमल्टी मिलेनियर इंजीनियर 32 लाख रुपए का पैकेज छोड़ ग्रहण करेंगी जैन धर्म की दीक्षा, जाने कौन हैं हर्षाली | Multi-millionaire engineer will leave her package of 32 lakh rupees and will take initiation into Jainism, know who is Harshali | Patrika News
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मल्टी मिलेनियर इंजीनियर 32 लाख रुपए का पैकेज छोड़ ग्रहण करेंगी जैन धर्म की दीक्षा, जाने कौन हैं हर्षाली

एक समय था जब हर्षाली कोठारी अपनी मेहनत और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के पेशेवर करियर के कारण सफलता की ऊंचाइयों पर थीं।

राजसमंदNov 30, 2024 / 12:56 pm

Madhusudan Sharma

राजसमंद. एक समय था जब हर्षाली कोठारी अपनी मेहनत और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के पेशेवर करियर के कारण सफलता की ऊंचाइयों पर थीं। एक अमेरिकन मल्टीनेशनल कंपनी एडोब में 32 लाख रुपये सालाना पैकेज पर कार्यरत हर्षाली, जॉब और दुनियावी सुखों में संतुष्ट थीं। लेकिन, एक दिन उन्होंने इन सभी भौतिक आकर्षणों को छोड़ने का निश्चय किया और अपने जीवन को एक नई दिशा देने का साहसिक कदम उठाया।

संयम का पथ अपनाने का निर्णय

अब, 28 वर्षीय हर्षाली कोठारी 3 दिसंबर को जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण करने जा रही हैं। वे अब न केवल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधिका भी बन चुकी हैं। इस दीक्षा के माध्यम से वे जैन परिव्रज्या अंगीकार करेंगी और अपना जीवन संयम, साधना और आत्मिक शांति की ओर मोड़ देंगी।

आध्यात्मिक खोज की ओर पहला कदम

ब्यावर निवासी हर्षाली कोठारी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जिसमें उनके पिता अशोक कोठारी और माता उषा देवी के साथ तीन भाई भी हैं। हर्षाली की स्कूली शिक्षा ब्यावर में हुई, और बाद में उन्होंने बी-टेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित एडोब कंपनी में इंजीनियर के रूप में जॉइन किया। लेकिन, जैसे-जैसे वे करियर में सफलता की ओर बढ़ रही थीं, उनका मन एक अलग ही रास्ते की ओर आकर्षित होने लगा।

आचार्य रामलाल से मिलन और जीवन में बदलाव

यह बदलाव उस समय आया जब हर्षाली की मुलाकात कुछ साल पहले आचार्य रामलाल से हुई। वे ब्यावर में आयोजित आचार्य जी के चातुर्मास में शामिल हुईं और वहां से एक नई दिशा की ओर अग्रसर हुईं। आचार्य जी के प्रभाव में आकर उन्होंने भौतिक सुख-संसार की माया को तिलांजलि दे दी और आत्मिक शांति की खोज में कदम रखा। हर्षाली के लिए यह एक जटिल निर्णय था, क्योंकि वे एक उच्च वेतन प्राप्त कर रही थीं और दुनिया भर में घूमने का अवसर उन्हें मिला था, लेकिन उन्होंने सभी ऐश्वर्य और भोग विलास को छोड़ने का दृढ़ निश्चय किया।
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वैराग्य और आत्मिक साधना की ओर कदम

हर्षाली के अनुसार, “मुझे महसूस हुआ कि जीवन में केवल भौतिक सुख से कहीं अधिक महत्वपूर्ण आत्मिक शांति है। मैं संसार के आकर्षणों से परे जैन धर्म की दीक्षा लेने जा रही हूं, क्योंकि मुझे विश्वास है कि यह मार्ग मुझे असली सुख और शांति देगा।” एक समय था जब वे अपनी ज़िंदगी के रूटीन में व्यस्त थीं, लेकिन अब उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं बदल दी हैं। जॉब छोड़ने के बाद, हर्षाली ने फ्लाइट की बजाय पैदल यात्रा करना शुरू कर दिया। यह बदलाव उनके अंदर गहरी मानसिकता और साधना की ओर संकेत करता है।

तीर्थंकर तुल्य जीवन की ओर अग्रसर

हर्षाली ने खुद को जैन धर्म के सिद्धांतों में पूरी तरह से डुबो दिया। उनका जीवन अब एक साधारण और संयमित जीवनशैली की ओर बढ़ रहा है, जिसमें वे आत्मान्वेषण और ध्यान पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं। वे अब जैन संतों की परंपरा को अपनाकर सत चित आनंद की अनुभूति की ओर अग्रसर हो रही हैं। उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में शादी और पैसों की सुख-सुविधाओं को तिलांजलि दी, और आत्मिक शांति के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

आध्यात्मिक यात्रा का शुभारंभ: दीक्षा की तारीख तय

समता युवा संघ के श्रावक महावीर कोठारी के अनुसार, हर्षाली को 3 दिसंबर को जैन भगवती दीक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह दीक्षा समारोह नरबद खेड़ा स्थित केडी विद्यालय परिसर में आयोजित किया जाएगा। आचार्य रामलाल के सान्निध्य में हर्षाली की दीक्षा होगी, और वे आधिकारिक रूप से जैन संन्यासिनी बन जाएंगी। यह एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक अवसर होगा, जब एक युवा महिला ने अपने जीवन के सभी सांसारिक सुखों को छोड़कर अध्यात्म की राह पर चलने का संकल्प लिया है।

समाज के लिए एक प्रेरणा

हर्षाली की यह यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में बदलाव की कहानी है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन गई है। एक युवा महिला द्वारा आत्मिक शांति और संयम की राह अपनाना, आज के युग में एक साहसिक कदम है। उनके इस निर्णय ने यह सिद्ध कर दिया है कि जीवन में असली सुख भौतिकता से नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष और शांति से मिलता है।

“जैन भगवती दीक्षा की ओर पहला कदम”

हर्षाली की दीक्षा 3 दिसंबर को आयोजित होगी, और इसके बाद वे जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत करेंगी। उनकी यह यात्रा, जिसे उन्होंने अपने परिवार और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाया है, उन सभी के लिए एक संदेश है कि जीवन में सच्ची शांति और संतोष को पाने के लिए अपने कर्मों को सही दिशा में मोड़ना आवश्यक है।

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