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कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व : राजस्थान की इस पंचायत में पाले जाएंगे चीतल, फिर छोड़ा जाएगा जंगल में…पढ़े पूरी खबर

कुंभगलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए तैयारी शुरू हो गई है। टाइगर के भोजन के लिए वन्यजीवों की संख्य बढ़ाने के लिए अब देसूरी में एनक्लोजर बनाया जाएगा। इसमें 150 से 200 चीतल लाकर उनकी देखरेख कर सामान्य होने पर उन्हें जंगल में छोड़े जाने की योजना है। इससे वन्यजीवों की संख्या में इजाफा होगा।

राजसमंदOct 26, 2024 / 11:44 am

himanshu dhawal

हिमांशु धवल
राजसमंद. कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए वन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है। हालांकि ग्रासलैंड बढ़ाने का कार्य पहले से किया जा रहा है। अब वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। वन विभाग की ओर से इसके लिए देसूरी नाल में एनक्लोजर बनाकर उसमें चीतलों को रखा जाएगा। इसके लिए टेण्डर आमंत्रित किए जाएंगे। कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व में टाइगर को छोडऩे से पहले ग्रास लैंड तैयार करने और वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। इसके तहत वन विभाग की ओर से पिछले दो सालों से ग्रासलैंड बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे शाकाहारी वन्यजीवों को भोजन आसानी से उपलब्ध हो सके। इसके साथ ही अब टाइगर को शिकार के लिए वन्यजीव आसानी से उपलब्ध हो इसके लिए इनकी संख्या बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। वन विभाग की ओर से इसके लिए राजसमंद के देसूरी नाल में एनक्लोजर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। वन विभाग की ओर से इसके लिए टेण्डर आमंत्रित जाएंगे। एनक्लोजर के तैयार होने पर 150 से 200 चीतल लाकर इसमें छोडऩे की योजना है। इस दौरान इनकी संख्या भी बढ़ेगी और उनके सामान्य होने पर उन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। उल्लेखनीय है कि कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति पिछले साल ही मिल चुकी है।

सादड़ी एनक्लोजर में ब्लैक बर्ग और चौसिंगा

वन विभाग की ओर से जालौर स्थित सादड़ी रेंज स्थित मोडिया में करीब डेढ़ साल पहले ब्लैक बर्ग, चौसिंगा के बच्चों को लाकर छोड़ा गया था। उनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में वन विभाग उन्हें भी जंगल में छोड़ेगा तो वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। उल्लेखनीय है कि मेवाड़ में 1970 से पहले टाइगर थे, लेकिन समय के साथ जंगल में लोगों की आवाजाही बढऩे और शिकार के चलते लुप्त हो गए।

15 हजार से अधिक शाकाहारी वन्यजीव

वन विभाग की ओर से इस वर्ष वन्यजीव गणना की गई है। इसमें राजसमंद उप वन संरक्षक के अन्तर्गत आने वाले वन क्षेत्र में वॉटर हॉल पर गणना की गई थी। इसमें 15 हजार से अधिक वन्यजीव देखे गए हैं। वन विभाग के अनुसार कुंभलगढ़ वन क्षेत्र में 8690 शाकाहारी वन्यजीव हैं। इसमें चीतल 26, सांभर 521, नीलगाय 1390, चिकारा 01, चौसिंगा 84, जंगली सुअर 729, लंगूर 5806, जंगली मुर्गी 1380, मोर 2234 है। इसी प्रकार रावली व टॉडगढ़ में 4969 शाकाहारी वन्यजीव है। इसमें सांभर 160, रोजड़ा 974, जंगली सुअर 534, लंगूर 3240 एवं अन्य वाटर हॉल में सांभर 4, नीलगाय 494, जंगली सुअर 125 सहित कुल 1619 वन्यजीव बताए जा रहे हैं। इसके अलावा मांसाहारी वन्यजीव भी अलग से हैं।

एक्सपर्ट कमेटी की बैठक अब जयुपर में संभव !

कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए सरकार की ओर से गठित एक्सपर्ट कमेटी की बैठक अब जयपुर में होने की उम्मीद है। गत दिनों उदयपुर में हुई बैठक में कई डीएफओ मीटिंग में नहीं जुड़ पाए थे। इसके कारण बफर जोन आदि के संबंध में चर्चा नहीं हो सकी थी। इसके कारण रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई। ऐसे में अब यह बैठक जयपुर में होने की संभावना जताई जा रही है। कमेटी को 31 अगस्त तक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है।

एनक्लोजर के लिए टेण्डर आमंत्रित, लाएंगे चीतल

टाइगर रिजर्व के लिए देसूरी नाल में एनक्लोजर बनाए जाने के लिए टेण्डर आमंत्रित किए हैं। यहां पर 150 से 200 चीतल लाने का प्रयास किए जाएंगे। इन्हें कुछ यहां पर रखकर फिर जंगल में छोड़े जाएंगे। इससे वन्यजीवों की संख्या में इजाफा होगा।
  • सुदर्शन शर्मा, उपवन संरक्षक वन विभाग राजसमंद

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