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कुंभलगढ़ महोत्सव: अजेय दुर्ग कुंभलगढ़ में कलाकारों के संग संस्कृति के अनूठे रंग

स्थापत्य और संगीत कला के प्रेमियों के लिए प्रसिद्ध महाराणा कुंभा का अजेय दुर्ग, कुंभलगढ़, इस बार 18वें कुंभलगढ़ महोत्सव में सांस्कृतिक विविधता से सराबोर हो गया

राजसमंदDec 03, 2024 / 01:56 pm

Madhusudan Sharma

कुंभलगढ़. स्थापत्य और संगीत कला के प्रेमियों के लिए प्रसिद्ध महाराणा कुंभा का अजेय दुर्ग, कुंभलगढ़, इस बार 18वें कुंभलगढ़ महोत्सव में सांस्कृतिक विविधता से सराबोर हो गया। महोत्सव के दूसरे दिन जोधपुर से आए जीवननाथ और लंगा पार्टी ने राजस्थानी लोकगीतों से पर्यटकों का मन मोह लिया, वहीं बाड़मेर के पारसमल एंड पार्टी की लाल आंगी गैर नृत्य प्रस्तुति ने कार्यक्रम को खास बना दिया।

लोकगीतों और नृत्यों ने बढ़ाया उत्साह

जीवननाथ एंड लंगा पार्टी ने “छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाके,” “निंबुडानिंबुडा निंबुडा,” और “केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश” जैसे लोकप्रिय राजस्थानी लोकगीतों के साथ कार्यक्रम में समा बांध दिया। इसके अलावा, बाड़मेर से आई लाल आंगी गैर के देसी ढ़ोल की थाप पर हुए नयनाभिराम गैर नृत्य ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया और कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बना। चित्तौड़ से आए दुर्गाशंकर एंड पार्टी के बहरूपियों ने अपनी विभिन्न वेशभूषाओं से दर्शकों का खूब ध्यान आकर्षित किया।

विभिन्न प्रांतों की कला से संजीवित हुई संस्कृति

कुंभलगढ़ दुर्ग परिसर में आने वाले कलाकारों ने राजस्थान के विभिन्न प्रांतों की संस्कृति और कला की छटा बिखेरी। इस दौरान उदयपुर पर्यटन निगम अधिकारी शिखा सक्सेना, होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भारतपाल सिंह शेखावत, और हेरीटेज सोसाइटी के सचिव कुबेर सिंह सोलंकी समेत कई अतिथि मौजूद रहे। सक्सेना ने बताया कि यह महोत्सव तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें राजस्थान की संस्कृति और कला के विविध रूप प्रदर्शित होंगे। यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं, जो इस महोत्सव का हिस्सा बनते हैं।

लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियां

इस महोत्सव के दौरान सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक लोक कलाकारों की विविध प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं, जिनमें कच्छी घोड़ी, कालबेलिया नृत्य, घूमर, मंगणियार कला, चकरी नृत्य, और सफेद आंगी गैर नृत्य जैसी राजस्थान की प्रसिद्ध लोक कलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, साफा बांधने की प्रतियोगिता, रंगोली मांडना, रस्सा कशी जैसी सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं भी हो रही हैं, जिसमें विजेताओं को पर्यटन विभाग द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।

पर्यटकों ने दिल खोलकर किया आनंद

जैसे ही “दमा दम मस्त कलंदर” जैसे लोक गीत गाए गए, परिसर में मौजूद देसी और विदेशी पर्यटक भी झूम उठे। कार्यक्रम का संचालन उमा जोशी और डॉ. सरिता शर्मा ने किया, जिन्होंने दर्शकों को उत्साहित और संजीवित रखा। कुंभलगढ़ महोत्सव ने इस साल अपनी भव्यता और विविधता के साथ सबको प्रभावित किया, और यह साबित कर दिया कि यह राजस्थान के सांस्कृतिक धरोहरों का अद्भुत संगम है।

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