मंगला राजभोग के दर्शन में रहा श्रद्धालुओं का सैलाब
दीपावली पर प्रात: खुले मंगला की झांकी के दर्शन का लाभ अपार श्रद्धालुओं ने लिया। वहीं, शृंगार के दर्शन एवं बाद में राजभोग की झांकी में भी अपार जनसैलाब दर्शन करने उमड़ा। सायंकाल हटड़ी के दर्शन से पहले कोई दर्शन नहीं होने से राजभोग की झांकी में अपार जनसैलाब पहुंचा। मंगला दर्शन के बाद प्रभु को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल सुगन्धित तेल से अभ्यंग स्नान करवाया गया। इसके बाद धराए शृंगार में श्रीजी बावा को श्रीजी नियम के लाल सलीदार जरी की वस्त्र सेवा में सूथन, फूलक शाही श्वेत जऱी की चोली, चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर जऱी की कूल्हे के ऊपर पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ धराई गई। नित्य लीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्रीदाऊजी महाराज द्वितीय कृत जड़ाव की, श्याम आधारवस्त्र पर कुंडों में वृक्षावली एवं पुष्प लताओं के मोती के सुन्दर जरदोज़ी के काम वाली पिछवाई, गादी, तकिया, जडाऊ एवं चरणचौकी पर लाल रंग की मखमल की बिछावट की गई। आभूषण सेवा में हीरा-पन्ना, माणक रत्नों से जडि़त स्वर्णाभूषण का भारी अलौकिक शृंगार के साथ सिरपेच तथा पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराए। श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल, बायीं ओर माणक की चोटी, शिखा के साथ पीठिका के ऊपर प्राचीन हीरे का जड़ाव का चौखटा एवं श्रीकंठ में बघनखा गुलाबी एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर थागवाली मालाजी धराई गई।
विशेष कीर्तन का गान
श्रीजी बावा के सन्मुख कीर्तनकारों ने राजभोग की झांकी में राग सारंग के साथ विशेष कीर्तन गुड़ के गुंजा पुआ सुहारी, गोधन पूजत व्रज की नारी, घर-घर गोमय प्रतिमा धारी बाजत रुचिर पखावज थारी। गोद लिए मंगल गुन गावत कमल नयन कों पाय लगावत। हरद दधि रोचनके टीके यह व्रज सुरपुर लागत फीके, राती पीरी गाय श्रृंगारी बोलत ग्वाल दे दे करतारी, हरिदास प्रभु कुंजबिहारी मानत सुख त्योहार दीवारी, का गुणगान किया।
अन्नकूट के चावल की सेवा
तिलकायत व विशालबावा की आज्ञा से अन्नकूटोत्सव के लिए राजभोग के दर्शन में आरती करने के बाद चावल की सेवा पधराई। टोकरी में चावल भरकर खासा भंडार में यह सेवा प्रारंभ की। इसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भी अपनी ओर से चावल पधराये। इसी तरह दीपावली के दिन राजभोग की झांकी के बाद सीधे शाम को मंदिर के रतन चौक में निधि स्वरूप लाड़ले लालन को नवनिर्मित हटड़ी में बिराजित कर सायंकाल हटड़ी के विशेष दर्शन हुए।
गोमाता पधारी
प्रात: 11 बजे नाथूवास स्थित श्रीनाथजी बावा की मुख्य गोशाला से हेड ग्वाल मनोज गुर्जर खिलाड़ी के नेतृत्व में सैकड़ों गोमाताओं को ग्वाल-बालों के द्वारा सजाकर ले जाया गया। गोमाता वल्लभ विलास कॉटेज के पार्किंग परिसर पहुंची, जहां से अपरान्ह साढ़े तीन बजे सैकड़ों ग्वाल-बालों ने हीड़ा गाते हुए प्रभु श्रीनाथजी मंदिर की परिक्रमा। इसके बाद कॉटेज के यहां से गोमाताओं मोतीमहल नीचे चौपाटी, मंदिर मार्ग होकर नक्कारखाना चौक तक रिझाते हुए ले जाई गई। इस दौरान ग्वाल- बालों ने धोती अंगरखी के विशेष परिधान के साथ सिर पर विशेष सेहरा धराते हुए गोमाता को रिझाया।
अन्नकूटोत्सव में अपार उत्साह
सैकड़ों आदिवासी भील मीणा समाज के सदस्य इस परंपरा को निभाने उत्साह से सैकड़ों की संख्या में मंदिर के डोल तिबारी व रतन चौक में रखे अन्नकूट का प्रसाद लूटने पहुंचे। इससे पूर्व तिलकायत ने गोबर से सजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा की एवं नंदवंश की मुख्य गोमाता ने गोवर्धन को घूंदा। प्रभु श्रीनाथजी के सन्मुख डोल तिबारी में धराए गए अन्नकूट के प्रसाद के रूप में सैकड़ों मण चावल के ढेर के साथ अन्य प्रसाद को लूटने के लिए रात लगभग पौने 11बजे शहर व आसपास के स्थानों के साथ कई ग्रामीण क्षेत्र से आए आदिवासी भील व मीणा समाज के लोग मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार नक्कारखाना गेट खुलते ही धीं-धीं की आवाज के साथ मंदिर के रतन चौक व डोल तिबारी में रखे अन्नकूट के प्रसाद को लूटने सूरजपोल की सीढिय़ों को चढकऱ अंदर पहुंचे। इसके बाद वे झोलियों और मटकियों में भरकर प्रसाद को लेकर निकले।