इस सामग्री का किया गया उपयोग
मंदिर के नक्कार खाना स्थित खर्च भंडार में मंदिर के पंड्या डॉ. परेश नागर के निर्देशन में भंडारी प्रकाश सनाढ्य, सहायक भण्डारी लोकश लोधा, घनश्याम पालीवाल, श्रीकृष्ण भंडार के सहायक अधिकारी अनिल सनाढ्य की मौजूदगी में रविवार को गुरु पूर्णिमा पर तोलकर कोठार में रखे गए धान आदि को सोमवार को पुन: तोला गया तो शत-प्रतिशत सामग्री में बढ़ोतरी ही हुई। इसके तहत मूंग हरा, मक्का सफेद, मक्का पीली, बाजरा, ज्वार, साल सफेद, साल लाल, चमला छोटा व मोटा, तिल्ली सफेद व काली, उड़द, मोठ, ग्वार आदि में किसी में पाव रत्ती तो किसी में आधा रत्ती से लेकर एक रत्ती तक की बढ़त होगी। इसी प्रकार जब, गेहूं काठा, गेहूं चन्द्रेसी , चना पीला व लाल, सरसों पीली व लाल, गुड़, नमक, काला गारा (मनुष्य), लाल गारा (पशु) की बढत रहेगी। जबकि, कपास्या का उत्पाद बराबर एवं घास में कमी रहेगी। इसके चलते धान की उपज उत्तम रहेगी। बारिश का योग सामान्य से अधिक होगा, जिसमें सावन मास में चार आना, भादवा में तीन आना, एवं आसोज में भी चार आना बारिश होगी, जबकि जो आषाढ़ महिना बीत गया उसमें 5 आना बारिश होना बताया गया। वहीं, इस बार वायु पश्चिम की ओर रहेगी। ऐसे में इस बार की आषाढ़ी में हर दृष्टि से सुकाल ही बताया गया है। धन-धान्य के साथ ही मानव जीवन एवं पशु आदि पर भी संकट कम रहेगा।
ये होती है प्रक्रिया
मंदिर की सदियों से चल रही आ रही आषाढ़ी तोलने की इस परंपरा में खर्च भंडार में मिट्टी के छोटे-छोटे बटेरों में धान की 27 प्रकार की इन सामग्री को आषाढ़़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा के दिन सायंकाल खर्च भंडारी के द्वारा तोला जाता है। इन सभी सामग्री को तोलने क बाद इन सभी सामग्री को खर्च भंडार के कोठार में रखा जाता है। इसके बाद अगले दिन यानि श्रावण कृष्ण प्रतिपदा को पुन: इन अनाज आदि को तोलकर घटोतरी व बढ़ोतरी बताई जाती है।