एक हजार एमटी का इंतजार
कृषि विभाग के अनुसार दिसम्बर माह में 1500 मैट्रिक टन यूरिया की डिमांड भेजी गई थी। इसके बदले अभी तक 500 मैट्रिक टन यूरिया आया है। इसके कारण दिसम्बर माह का एक हजार मैट्रिक टन यूरिया अभी आना शेष बताया जा रहा है, जबकि दिसम्बर माह बीतने में मात्र चार-पांच दिन शेष बचे हुए हैं। इसी प्रकार जनवरी के लिए एक हजार मैट्रिक टन यूरिया की डिमांड मुख्यालय भेजी हुई है। उल्लेखनीय है कि यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे फसलों की अच्छी बढ़वार होती है।
सिंचाई के लिए खुली नहरें
राजसमंद झील में इस बार पानी की अच्छी आवक होने के कारण जल वितरण समिति की बैठक में बुवाई और सिंचाई के लिए नहरें खोलने पर सहमति बनी थी। बुवाई के लिए नहरों को खोला गया था। अब सिंचाई के लिए नहरों को खोला गया है। इसके कारण काश्तकार अब फसलों की सिंचाई में जुट गए हैं। इसके कारण एकाएक यूरिया की मांग बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि बायीं नहर से 28 दिन और दायीं नहर 32 दिन सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।