जानकारी के अनुसार 18 जून को परिजनों ने राजनगर पुलिस थाने में राधेश्याम की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया कि वह किसी काम से गया था, लेकिन देर शाम तक नहीं लौटा। इसकी जांच की तो उसका कुछ पता नहीं लगा। इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की, लेकिन 23 जून को जंगल में एक चरवाहा की नजर पेंट पर पड़ी। आगे चलकर देखा तो कुछ कपड़े आदि नजर आए। उसे पैँथर के शिकार किए जाने का आभास हुआ। उसने गांव वालों को इसकी सूचना दी।
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सूचना पर गांव के लोग और परिजन मौके पर पहुंचे और देखा तो उसकी पहचान राधेश्याम के रूप में हुई। पुलिस व ग्रामीणों को प्रथम दृ़ष्टया मानना है कि संभावत पैंथर की ओर से ही युवक का शिकार किया गया है। इधर युवक के पोस्टमार्टम के लिए नाथद्वारा से वन विभाग की टीम भी राजसमंद मोर्चरी में पहुंची। जहां उसने युवक का डीएनए लिया है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी कि पैंथर ने नोचा है या अन्य किसी शिकारी जानवर ने। यह भी पढ़ें
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परिजनों का रो-रोकर बुरा हालइस घटना की जानकारी परिजनों को मिली तो उनका रो-रो कर बुरा हाल हो गया। आस-पड़ौस के लोगों ने परिजनों को ढांढस बंधाया। मृतक राधेश्याम की मां तो बेसुध सी हो गई थी। घर पर आस-पास के लोगों को आने का क्रम जारी रहा।
तीन भाईयों में सबसे छोटा था राधेश्याम
राधेश्याम तीन भाईयों में सबसे छोटा था। वह ट्रकों में टाइल भरने का काम करता था। इसी के माध्यम से परिवार का लालन-पालन करने की जिम्मेदारी उस पर भी थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
राधेश्याम तीन भाईयों में सबसे छोटा था। वह ट्रकों में टाइल भरने का काम करता था। इसी के माध्यम से परिवार का लालन-पालन करने की जिम्मेदारी उस पर भी थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।