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अजेय दुर्ग : राजस्थान के इस दुर्ग के लिए विदेशियों ने कही इतनी बड़ी बात …पढ़े पूरी खबर

राजसमंद स्थित कुंभलगढ़ स्थापत्य एवं संगीत कला प्रेमी महाराणा कुंभा के अजेय दुर्ग कुंभलगढ़ में 18 वें कुंभलगढ़ महोत्सव के तीसरे और आखिरी दिन पर्यटकों में उत्साह देखा गया। कार्यक्रमों को देखने के लिए देशी और विदेशी भी पहुंचे हैं।

राजसमंदDec 04, 2024 / 11:17 am

himanshu dhawal

कुंभलगढ़. स्थापत्य एवं संगीत कला प्रेमी महाराणा कुंभा के अजेय दुर्ग कुंभलगढ़ में 18 वे कुंभलगढ़ महोत्सव के तीसरे और आखिरी दिन पर्यटकों में उत्साह देखा गया। दोपहर बाद स्कूली छात्र-छात्राओं के आने से भीड़ नजर आई। मंगलवार सुबह 11 बजे से यज्ञ वेदी परिसर में बाड़मेर के तगाराम एंड पार्टी की सफ़ेद आंगी गैर का नृत्य मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। वहीं जोधपुर से आए जीवन नाथ एवं लंगा पार्टी ने एक से बढकऱ एक राजस्थानी लोकगीतों की प्रस्तुति पर पर्यटकों का मन मोह लिया। वहीं बाड़मेर से आई लाल आंगी गैर के देसी ढ़ोल की थाप पर किए नयनाभिराम गैर नृत्य ने लोगों का खूब मनोरंजन किया। इसके अलावा चित्तौड़ से आए दुर्गा शंकर एंड पार्टी के बहरूपियों ने अलग-अलग वेश बनाकर पर्यटकों का खूब मनोरंजन किया। लाल आंगी गैर तथा चरी नृत्य ने बांधा समांदुर्ग परिसर में आए कलाकारों ने राजस्थान के विभिन्न प्रांतों की सांस्कृतिक कलाओं की झलक देखने को मिली। इस दौरान उदयपुर पर्यटन निगम अधिकारी शिखा सक्सेना एवं हेरीटेज सोसायटी के सचिव कुबेर सिंह सोलंकी सहित अतिथि मौजूद रहे। यहां प्रतिदिन सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक लोक कलाकारों की विभिन्न प्रस्तुतियां जारी रही। जिसमें सत्यनारायण बूंदी से कच्ची घोडी, अप्पा नाथ जोधपुर से कालबेलिया नृत्य, मीना देवी बाड़मेर से घूमर के साथ जीवन नाथ जोधपुर से मंगणियार कलाकार, आशा बाई बारा से चकरी नृत्य, गोपाल धानुक बारा से सहरिया नृत्य, तगाराम बाड़मेर से सफेद आंगी गैर नृत्य, पारसमल बाड़मेर से लाल आंगी गैर तथा चरी नृत्य सहित राजस्थान के प्रसिद्ध नृत्यों की प्रस्तुितयां शामिल है। साथ ही साफा बांधों प्रतियोगिता, रंगोली मांडना, रस्सा कशी सहित विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही हैं, जिसमें विजेताओं को पर्यटन विभाग की ओर से पुरस्कृत किया जाता है।

विदेशी बोले एक्सीलेंट

जर्मनी से आए विदेशी पर्यटक वोल्गा ने बताया कि कुंभलगढ़ दुर्ग आकर उन्होंने पहली बार ऐसा कार्यक्रम देखा है, जिसका उन्होंने पूरा आनंद उठाया। वोल्गा ने बताया कि कुंभलगढ़ दुर्ग एक्सीलेंट है। इस स्मारक को संरक्षित रखने के सभी उपाय किए जाने चाहिए। संचालन उदयपुर से आई उमा जोशी और डॉक्टर सरिता शर्मा ने किया।

फेस्टिवल की आखिरी शाम रही शास्त्रीय संगीत के नाम

कुंभलगढ़, शास्त्रीय संगीत प्रेमी महाराणा कुंभा के दुर्ग में फेस्टिवल के तीसरे दिन मंगलवार रात्रि को दूधिया रोशनी से नहाए पाŸव में दुर्ग की छवि वाले मंच पर। कलाकारों की ओर से क्लासिकल प्रस्तुतियां देकर वातावरण में शास्त्रीय संगीत संस्कृति का जलवा बिखेर दिया। जिसमें मुख्य रूप से मोहित गंगानी ग्रुप की ओर से तबला वादन के साथ क्लासिकल डांस की प्रस्तुतियां दी गई। वहीं बरखा जोशी ग्रुप की ओर से कत्थक नृत्य और फॉक फ्यूजन की प्रस्तुतियां दी गई।

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