प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। खबर यह भी आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं पर इस खबर ने एक बार फिर कांग्रेस के उन नेताओं के चेहरे मुरझा दिए हैं जो कि लंबे समय से लोकसभा चुनाव लड़ने की चाह रखते हैं। कांग्रेस अगर लोकसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र के बाहर से प्रत्याशी लाकर चुनाव लड़ाती है तो स्थानीय नेताओं का राजनीतिक ग्राफ फिर नीचे चला जाएगा।
विशेषकर राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी नेताओं को झटका लगेगा जो कि विस चुनाव में बाहरी प्रत्याशी के थोपे जाने से नाराज थे और अंदरूनी तौर पर विरोध भी करते रहे। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव सीट पर दो बार बाहरी प्रत्याशी उतारकर राजनीतिक प्रयोग तो किया पर सफल नहीं रहे। इसलिए जिले के कांग्रेसी नहीं चाहते कि बाहरी प्रत्याशी थोपा जाए। भाजपा ने संसदीय क्षेत्र के कवर्धा जिले से प्रत्याशी बनाया है।
खबर है कि दिल्ली में कांग्रेस की हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और चंद्रवंशी के नाम पर चर्चा हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि बघेल अगर पीछे हटते हैं तो चंद्रवंशी को मौका दिया जा सकता है। कांग्रेस के सीनियर नेताओं का कहना है कि कांग्रेस प्रदेश स्तर के सीटों पर राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखकर ही राजनांदगांव सीट का फैसला लेगी।
एक बार नहीं बल्कि दो बार मौका देकर संकेत दिए हैं कि संसदीय क्षेत्र में कवर्धा की उपेक्षा नहीं की जा सकती। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस से भी दावेदारों की कमी नहीं हैै। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के नाम की चर्चा होने के साथ ही साहू समाज से ताल्लुक रखने वाले दो बार के विधायक दलेश्वर, पूर्व विधायक छन्नी साहू के साथ ही कवर्धा क्षेत्र के महेश चंद्रवंशी का नाम भी दावेदारों में शामिल बताया जा रहा है। इस सीट से भूपेश बघेल का नाम भी है, जो रेस में सबसे आगे हैं। फिलहाल सूची जारी होते ही इस पर से पर्दा हट जाएगा।