CG News: 28 शिक्षक और 700 से अधिक बच्चे सोमवार को सड़क पर उतरे
CG News: शासन से अनुदान प्राप्त शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य डीआर नावेलकर को स्कूल संचालित करने वाली संस्था द्वारा हटाने आदेश जारी कर दिया गया है। इसके बाद ही यहां कार्यरत तकरीबन 28 शिक्षक और 700 से अधिक बच्चे सोमवार को सड़क पर उतर आए थे। प्राचार्य ने मामले को लेकर स्कूल संचालित करने वाली संस्था पर आर्थिक अनियमितता करने गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा
शिक्षक हित और शैक्षणिक विकास के लिए मिली राशि का गबन करने का भी आरोप लगाया है।
सड़क पर स्कूल के शिक्षकों ने कहा संबंधित संबंधित प्राचार्य के आने के बाद संस्था लगातार प्रगति की है। उन्हें दुर्भावना पूर्ण ढंग से संस्था द्वारा हटाया जा रहा है। जबकि तक उन्हें पुन: पदस्थ नहीं किया जाता, वे आंदोलन करेंगे। जरूरत पड़ने पर सभी शिक्षक हड़ताल पर चले जाएंगे।
प्रबंधन जबरन बना रहा दबाव
प्राचार्य डीआर नावेलकर का कहना है कि शिक्षक वेतन वृद्धि, पीएफ, नियमिती करण और शत प्रतिशत वेतन पर पीएफ देने की मांग को लेकर संस्था का पत्र सौंपे हैं। शाला प्रबंधन को लगता है कि यह सब मेरे नेतृत्व में हो रहा है। इसके पीछे मेरा हाथ होने की आशंका में मुझे हटाया गया है। प्राचार्य नावेलकर ने बताया कि टर्मिशन लेटर उन्हें कार्यावधि समाप्त होने के कारण देने की बात लिखी गई है, जबकि ज्वॉइनिंग लेटर में कार्यावधि का जिक्र नहीं है। जब उन्हें टर्मिनेशन लेटर दिया गया तब 12-13 लोग आए थे, कमरे में बंद कर उनके साथ दबाव पूर्ण ढंग से बात कर रहे थे। इसमें संस्था के अध्यक्ष विनय पटेल, उपाध्यक्ष पवन पटेल, सचिव हिमांशु पटेल कोषाध्यक्ष सहित अन्य लोग मौजूद थे। शिक्षा के मंदिर में इस तरह का धंधा बंद हो-पार्षद
इस पूरे मामले में वार्ड के पार्षद ऋषि शास्त्री का कहना है कि संबंधित प्राचार्य पहले से ही विवादित रहा है। उन्हें हटाने के लिए शिक्षा विभाग ने संस्था को पहले ही निर्देशित किया था, तब संस्था ने उन्हें नहीं हटाया। शिक्षा विभाग भी अपने आदेश-निर्देश का पालन कराने में असक्षम रहा। फीस के नाम पर बच्चों व पालकों से ली गई अतिरिक्त राशि की वापसी होनी चाहिए। शिक्षा के मंदिर में इस तरह का नाटकीय प्रकरण नहीं होना चाहिए। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। शिक्षा विभाग को गंभीरता दिखानी चाहिए। शिक्षा के मंदिर में इस तरह धंधा करने वालों पर सख्त
कार्रवाई होनी चाहिए। नहीं राजगामी को शाला भवन की जमीन को वापस ले लेना चाहिए।