राजनंदगांव

तो इसलिए विदेशी संगीत साधकों की पहली पसंद बना खैरागढ़ विवि…

विवि में पिछले साल तक 37 विदेशी छात्रों की तुलना में इस बार अभी तक कुल विदेशी छात्रों की संख्या बढ़कर 47 हो चुकी है।

राजनंदगांवOct 12, 2017 / 11:39 am

Dakshi Sahu

खिलेंद्र नामदेव@खैरागढ़. संगीत विश्वविद्यालय की बढ़ती गरिमा से अब पूरा विश्व जुडऩे लगा है। इसका ताजा उदाहरण इस साल विवि में पढऩे आए विदेशी छात्रों की संख्या का लगातार बढऩा है। विवि में पिछले साल तक 37 विदेशी छात्रों की तुलना में इस बार अभी तक कुल विदेशी छात्रों की संख्या बढ़कर 47 हो चुकी है।
अब तक यहां 25 ब्वायज व 22 गल्र्स विदेशी विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। संगीत विवि में अब तक विदेशी छात्रों में श्रीलंका से २३ छात्र और २१ छात्राएं, मारीशस से १ छात्र और १ छात्रा तथा थाईलैंड से १ छात्र शामिल हैं। संगीत विवि की छवि सुधारने में जुटे प्रबंधन द्वारा ऑनलाइन और वेबसाइट में भी विवि की प्रक्रिया डालने का सीधा फायदा मिला है।
हर साल की तरह इस साल विवि में छात्रों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। छात्र भी अब संगीत सहित इससे जुड़ी हर विधा में अपनी रूचि दिखा रहे हैं। बताया गया कि पिछले साल कुल आठ विदेशी छात्रों ने विवि में प्रवेश लिया था। इस बार नवप्रवेशी छात्रों की संख्या अब तक 17 हो गई है।
संगीत विवि की गुंज विदेशों में सबसे ज्यादा श्रीलंका में हो रही है। श्रीलंका से हर साल की तरह इस साल भी बेहतर छात्र संगीत की शिक्षा ग्रहण करने आए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक संगीत विवि में इस बार १७ में से १६ छात्र श्रीलंका से आए हैं। जिसमे से ७ छात्र गायन, १ सितार, ३ वायलीन, २ तबला तथा थियेटर, लोकसंगीत और भरतनाटयम में १-१ छात्रों ने प्रवेश लिया है।
भरत-नाट्यम में एक छात्र मॉरीशस से भी पहुंचा है। इस बार १२ छात्रों के साथ ५ छात्राएं भी इसमें शामिल हैं। भरत-नाटयम में इस बार एक छात्र थाइलैंड से भी पहुंचा है। संगीत विवि में पहले से शिक्षा ग्रहण कर रहे विदेशी छात्रों में भी श्रीलंकाई छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है। इस सत्र से पहले विवि में गायन में ९ श्रीलंकाई, तलबा में ६, वाइलिंन में ६, सिंतार में २ सरोद वादन में १, कत्थक में २ श्रीलंका और १ मॉरीशस, भरतनाटयम में १ श्रीलंकाई, पेंटिंग में १ मॉरीशस और लाइट म्यूजिक में एक श्रीलंकाई छात्र शामिल है।
विवि में हर बार भरतनाटयम, तबला, गायन में विदेशी छात्रों का आना जरूर था। इस बार थियेटर और लोक संगीत में भी विदेशी छात्रों की रूचि से विवि भी उत्साहित है। वाइलीन, सितार, सरोद के साथ कत्थक जैसे विभाग में भी विदेशी छात्रों की रूचि बढ़ी है। विवि की ओर से बेहतर व्यवस्था के साथ-साथ अन्य कार्यक्रम विदेशी छात्रों को आकर्षित करने में सफल हो रहा है। बताया गया कि विवि द्वारा सोशल मीडिया, वर्ड ऑफ माऊथ रेफरल, आईसीसीआर के स्कालरशिप के माध्यम से विदेशी छात्रों से सतत संपर्क बना रहा है।
विदेशी छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था, काऊंसलिंग की व्यवस्था विवि के शिक्षण प्रशिक्षण में उत्कृष्टता, नवाचार अधोसंरचना, विकास और शैक्षणिक प्रबंधन के कारण विदेशी छात्र लगातार विवि की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कुलपति इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ प्रोफेसर डॉ. मांडवी सिंह ने बताया कि संगीत विवि में विदेशी छात्रों को आकर्षित करने कई कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं। विदेशी छात्रों की रूचि भी संगीत विवि को लेकर लगातार बढ़ी है। ये संगीत विवि के लिए बेहतर है। नैक द्वारा ए-ग्रेड मिलने के बाद विदेश में भी विवि की गरिमा बढ़ी है।

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