पुलिस के अनुसार प्रार्थी कमरूल पिता महबूबल हसन निवासी बतावर चाल तुलसीपुर ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी वसीम अहमद एवं मोहसीन खान ने 22 जून 2024 को उसके पुत्र को सहकारिता विभाग मानपुर-मोहला मे क्लर्क व चपरासी की नौकरी लगवाने एवं पुत्री तसलीम हसन को मनरेगा विभाग में
नौकरी लगाने के नाम पर 4 लाख रुपए रुपए लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र दिया था। शिकायत के बाद पुलिस मामले की जांच में जुटी थी। जांच में आरोपियों के विरूद्ध अपराध घटित करना पाए जाने पर धारा 318(4), 3(5) के तहत अपराध दर्ज किया गया था।
पुलिस ने घेराबंदी कर किया गिरफ्तार
14 जनवरी 2025 को पुलिस को सूचना मिली कि दोनों आरोपी अपने-अपने घरों में मौजूद हैं। तुरंत घेराबंदी की गई। पहले आरोपी मोहसीन खान को छुरिया में उसके घर से पकड़ा गया। फिर वसीम अहमद को डोंगरगांव में गायत्री मंदिर के पास उसके निवास से गिरफ्तार किया गया। पुलिस पूछताछ में दोनों आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि यह उनका “साइड बिजनेस” था और अब तक कई लोगों को ऐसे फर्जी नियुक्ति पत्र देकर ठग चुके थे।
यह कहानी सिर्फ कमरूल हसन की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है, जो नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार होते हैं।
राजनांदगांव पुलिस ने अपनी सतर्कता से यह साबित कर दिया कि ऐसे ठग चाहे जितने भी शातिर क्यों न हों, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते। तो, अगली बार जब कोई आपको आसान और त्वरित नौकरी का वादा करे, तो सतर्क रहें और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद जरूर लें।