गांव में ज्यादा दिक्कत, आधी रात को भेज रहे अस्पताल
सोमवार को सिविल अस्पताल पहुंचंं अधिकांश लोगों में नागपुर, पूणे, महाराष्ट्र, सूरत, अहमदाबाद, मुंबई जैसे बड़े शहरों में कमाने खाने गए परिवार के सदस्य शामिल थे। यात्री वाहनों के बंद होने के बाद लेदेकर गांव पहुंचे ऐसे लोगों को गांव में घुसने से पहले अस्पताल में जांच कराने कहा जा रहा है जिसके कारण गांव पहुंचे ऐसे लोग समय बेसमय भी सिविल अस्पताल पहुंच रहे है। पूणे से लौटे एक परिवार के पांच से अधिक सदस्य गांव वालों के आदेश के बाद रविवार रात जांच कराने तीन बजे अस्पताल पहुंचे थे। देरसबेर पहुंच रहे लोगों के कारण ओपीडी सहित वार्ड संभाल रहे चिकित्सकों और स्टाफ की परेशानी बढ़ गई है। सोमवार को स्थानीय सिविल अस्पताल में यही माहौल दिखा। गांव में नही घुसने देने वाले परिवारों को जबरन दोपहर तक धूप में खड़े होकर जांच करानी पड़ी।
सोमवार को सिविल अस्पताल पहुंचंं अधिकांश लोगों में नागपुर, पूणे, महाराष्ट्र, सूरत, अहमदाबाद, मुंबई जैसे बड़े शहरों में कमाने खाने गए परिवार के सदस्य शामिल थे। यात्री वाहनों के बंद होने के बाद लेदेकर गांव पहुंचे ऐसे लोगों को गांव में घुसने से पहले अस्पताल में जांच कराने कहा जा रहा है जिसके कारण गांव पहुंचे ऐसे लोग समय बेसमय भी सिविल अस्पताल पहुंच रहे है। पूणे से लौटे एक परिवार के पांच से अधिक सदस्य गांव वालों के आदेश के बाद रविवार रात जांच कराने तीन बजे अस्पताल पहुंचे थे। देरसबेर पहुंच रहे लोगों के कारण ओपीडी सहित वार्ड संभाल रहे चिकित्सकों और स्टाफ की परेशानी बढ़ गई है। सोमवार को स्थानीय सिविल अस्पताल में यही माहौल दिखा। गांव में नही घुसने देने वाले परिवारों को जबरन दोपहर तक धूप में खड़े होकर जांच करानी पड़ी।
राज्य सीमा गातापार जंगल में शुरू की गई जांच
बाहरी लोगों के गांव में लौटने की लगातार बढ़ रही संख्या के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लाक के गातापार जंगल में स्वास्थ्य जांच केन्द्र शुरू किया गया है। बताया गया कि मप्र्र और महाराष्ट्र से सटे इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग अपने गांव लौट रहे हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की परेशानी और दिक्कतों को दूर करने गातापार जंगल में ऐसे लोगों की त्वरित जांच की जा रही है ताकि वाइरस के संक्रमण से बचा जा सके। यहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता सहित अन्य कर्मचारियों को तैनात किया गया है। आ रहे लोगों को बचाव के तरीके और सतर्कता के उपाय बताए जा रहे हैं।
बाहरी लोगों के गांव में लौटने की लगातार बढ़ रही संख्या के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लाक के गातापार जंगल में स्वास्थ्य जांच केन्द्र शुरू किया गया है। बताया गया कि मप्र्र और महाराष्ट्र से सटे इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग अपने गांव लौट रहे हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की परेशानी और दिक्कतों को दूर करने गातापार जंगल में ऐसे लोगों की त्वरित जांच की जा रही है ताकि वाइरस के संक्रमण से बचा जा सके। यहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता सहित अन्य कर्मचारियों को तैनात किया गया है। आ रहे लोगों को बचाव के तरीके और सतर्कता के उपाय बताए जा रहे हैं।
सोशल डिस्टेंस जरूरी, ऐसे समझने की जरूरत
गांवों में पहुंचें बाहरी लोगों को त्वरित जांच के लिए पहले गांव के उपस्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र मितानीन से जांच कराई जा सकती है, सभी को सिविल अस्पताल भेजने की आवश्यकता नही है। किसी भी शख्स में सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत सामने आने के बाद ही उसे सिविल अस्पताल सहित बड़े अस्पतालों में भेजने की जरूरत है। किसी भी प्रकार के लक्षण नही होने पर केवल घर में आइसोलेशन में रहकर भी इस वाइरस से लड़ा जा सकता है इसके लिए जागरूकता की जरूरत है। सिविल अस्पताल में भीड़ बढऩे से सबसे ज्यादा बीमारी के फैलाव की दिक्कत हो सकती है। इसलिए भीड़ से बचने खुद की जागरूकता और जानकारी के साथ बचाव और सतर्कता अपनाने से भी इस वाइरस से बचा जा सकता है। संदिग्ध स्थिति होने पर भी पहले जांच और घर में ही निगरानी से स्थिति संभाली जा सकती है।
गांवों में पहुंचें बाहरी लोगों को त्वरित जांच के लिए पहले गांव के उपस्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र मितानीन से जांच कराई जा सकती है, सभी को सिविल अस्पताल भेजने की आवश्यकता नही है। किसी भी शख्स में सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत सामने आने के बाद ही उसे सिविल अस्पताल सहित बड़े अस्पतालों में भेजने की जरूरत है। किसी भी प्रकार के लक्षण नही होने पर केवल घर में आइसोलेशन में रहकर भी इस वाइरस से लड़ा जा सकता है इसके लिए जागरूकता की जरूरत है। सिविल अस्पताल में भीड़ बढऩे से सबसे ज्यादा बीमारी के फैलाव की दिक्कत हो सकती है। इसलिए भीड़ से बचने खुद की जागरूकता और जानकारी के साथ बचाव और सतर्कता अपनाने से भी इस वाइरस से बचा जा सकता है। संदिग्ध स्थिति होने पर भी पहले जांच और घर में ही निगरानी से स्थिति संभाली जा सकती है।
पंचायतों व अस्पताल में दर्ज हो रहे नाम
बाहर से लौटे लोगों को जांच के लिए गांव से भले ही बिना लिखा-पढ़ी के अस्पताल भेजा जा रहा हो लेकिन स्थानीय सिविल अस्पताल में बाहर से आए लोगों को अलग से दर्ज किया जा रहा है। ओपीडी में रोजाना दो रजिस्टर में मरीजों के नाम दर्ज किए जा रहे है। इसमें स्थानीय लोग जो अन्य बीमारियों के इलाज के लिए ओपीडी पहुंच रहे हैं, उन्हें अलग पंजी में दर्ज किया जा रहा है तो दूसरी ओर पलायन वाले दूसरे प्रदेशों और बड़े शहरों से वापस लौटे लोगों की जांच के पहले उनके लिए अलग पंजी का संधारण किया जा रहा है ताकि बाद में किसी प्रकार की दिक्कत आने से उनकी पहचान आसानी से की जा सके।
बाहर से लौटे लोगों को जांच के लिए गांव से भले ही बिना लिखा-पढ़ी के अस्पताल भेजा जा रहा हो लेकिन स्थानीय सिविल अस्पताल में बाहर से आए लोगों को अलग से दर्ज किया जा रहा है। ओपीडी में रोजाना दो रजिस्टर में मरीजों के नाम दर्ज किए जा रहे है। इसमें स्थानीय लोग जो अन्य बीमारियों के इलाज के लिए ओपीडी पहुंच रहे हैं, उन्हें अलग पंजी में दर्ज किया जा रहा है तो दूसरी ओर पलायन वाले दूसरे प्रदेशों और बड़े शहरों से वापस लौटे लोगों की जांच के पहले उनके लिए अलग पंजी का संधारण किया जा रहा है ताकि बाद में किसी प्रकार की दिक्कत आने से उनकी पहचान आसानी से की जा सके।