Jagannath Rath Yatra 2024: यहां रथ नहीं, कांधे पर सवार होकर निकलते हैं भगवान जगन्नाथ, जानिए कब और कैसे हुआ इसका निर्माण?
Jagannath Rath Yatra 2024: राजनांदगांव के खैरागढ़ क्षेत्र के ग्राम पाड़ादाह में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर निर्माण का किस्सा बड़ा रोचक है। इस ऐतिहासिक मंदिर को ओडि़सा के कंबल बेचने वालों ने सालों पहले बनवाया था।
Jagannath Rath Yatra 2024: राजनांदगांव के खैरागढ़ क्षेत्र के ग्राम पाड़ादाह में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर निर्माण का किस्सा बड़ा रोचक है। इस ऐतिहासिक मंदिर को ओडि़सा के कंबल बेचने वालों ने सालों पहले बनवाया था। आज यह मंदिर पूरे अंचल में आस्था का एक बड़ा केन्द्र बना हुआ है। रोचक तथ्य यह भी है कि इस मंदिर में पुरी की तरह भगवान जगन्नाथ को रथ में बिठाकर भ्रमण नहीं कराया जाता बल्कि पुजारियों के कंधे पर बैठकर जग के नाथ मंदिर परिसर की परिक्रमा करते हैं।
मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि किसी ने भी इस परंपरा को तोडऩे का प्रयास किया, उसके साथ अनहोनी हुई है। इसलिए पूर्वजों के बताए गए परंपरा के अनुसार ही रथयात्रा का पर्व मनाया जाता है। इस बार भी यहां तीन दिवसीय उत्सव मनाया जाएगा। 6 जुलाई को अखंड राम संकीर्तन की शुरुआत होगी। लगातार 24 घंटे पाठ होगा। 7 जुलाई को 11 बजे संकीर्तन का समापन करने के बाद विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान जगन्नाथ को कंधे पर बिठाकर मंदिर परिसर की परिक्रमा कराई जाएगी।
Jagannath Rath Yatra 2024: कभी राजनांदगांव की राजधानी थी पाड़ादाह
इस आयोजन में क्षेत्र के हजारों लोगों की मौजूदगी रहती है। यहां आस्था उमड़ पड़ती है। मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष मिहिर झा ने बताया कि रियासतकाल में पाड़ादाह राजनांदगांव की राजधानी थी। इसलिए यह गांव प्रमुख केन्द्र था। व्यापारिक रूप से भी इस गांव की पूछपरख थी। बाहर से आने वाले व्यापारी राजधानी में ठहरते थे। 1920-21 की बात है जब ओडि़सा से यहां कंबल बेचने वाले व्यापारी पहुंचे थे। फेरी लगाकर कंबल बेचने वाले व्यापारी पाड़ादाह में रात्रि विश्राम करने के साथ भजन-कीर्तन किया करते थे।
दो-दो रुपए नजराना
व्यापारी भगवान कृष्ण पर आधारित भजन प्रस्तुत करते थे। भजन की शानदार प्रस्तुति होती थी। आसपास के गांव में इसकी चर्चा होने लगी थी। रानी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने फेरी वालों को अपने दरबार में बुलाया। व्यापारियों ने कृष्ण भजन की प्रस्तुति दी। रानी को भजन इतना अच्छा लगा कि उन्होंने क्षेत्र में हुक्मनामा जारी कर दिया कि जितने भी मालगुजार हैं, वे इन भजन गायकों को दो-दो रूपए नजराना के तौर पर देंगे।
Jagannath Rath Yatra 2024: और ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण
इस तरह व्यापारी कंबल बेचने के साथ ही गांव-गांव में भजन-कीर्तन करने लगे। इससे व्यापारियों के पास बहुत सारा धन एकत्रित हो गया। व्यापारियों ने क्षेत्र की जनता का स्नेह देखकर राजा के पास प्रस्ताव रखा कि वे पाड़ादाह में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनाएंगे। इसके साथ ही यहां मंदिर निर्माण हो गया। अध्यक्ष झा ने बताया कि मंदिर बनाने वाले व्यापारियों को भगवान ने स्वप्न में कहा था कि वे रथ में सवार होकर बाहर नहीं बल्कि मंदिर परिसर में ही परिक्रमा करेंगे। इसके बाद से परंपरा चल रही है कि भगवान को रथ पर नहीं बिठाते बल्कि पुजारी परिवार के सदस्य कंधे पर बिठाकर मंदिर परिसर में ही भ्रमण कराते हैं।
पुस्तक में इसका जिक्र
बताया कि सालों पहले ब्रिटिश काल में एक गर्वनर ने रथ बनवाकर भ्रमण कराया था तो उनकी असामयिक मृत्यु हो गई थी। जिसने भी रथ में भ्रमण कराने का प्रयास किया, उन्हें अनहोनी का सामना करना पड़ा। इस वजह से रथ नहीं बनाया जाता। अध्यक्ष झा ने बताया कि मंदिर से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य वरिष्ठ पत्रकार स्व. शरद कोठारी द्वारा लिखित पुस्तक और दिग्गी मर गया..में उल्लेखित है। इन तथ्यों से मंदिर की ऐतिहासिक परंपरा की पुष्टि होती है। @मोहन कुलदीप।
Jagannath Rath Yatra 2024: रथ यात्राओं का डेटा चार्ट
यहाँ छत्तीसगढ़ की विभिन्न रथ यात्राओं में पिछले पाँच वर्षों के दौरान भागीदारी का डेटा चार्ट प्रस्तुत किया गया है। चार्ट में रायपुर, दंतेवाड़ा और बिलासपुर की रथ यात्राओं में शामिल होने वाले लोगों की संख्या को दर्शाया गया है। इस चार्ट से स्पष्ट होता है कि समय के साथ रथ यात्राओं में भागीदारी में वृद्धि हुई है, जो इन आयोजनों की बढ़ती लोकप्रियता और धार्मिक महत्व को दर्शाती है।