इस दौरान जब बच्चा सेप्टिक टैंक में गिरा तब आंगनबाड़ी के आसपास उसके बड़े दादा भी मौजूद थे। जैसे ही बच्चों के गिरने की जानकारी मिली। वे तुरंत पहुंचे और डूबे हुए बच्चे को निकाला। ग्रामीण और परिजनों की मदद से तत्काल इलाज के लिए बच्चे को डोंगरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं बच्चे का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।
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इस बड़ी घटना में बड़ी लापरवाही सामने आई है। आंगनबाड़ी संचालन के समय सेप्टिक टैंक का ढक्कन कैसे खुला रह गया और इस संबंध में आसपास के लोग या आंगनबाड़ी के कार्यकर्ताओं ने इसकी जानकारी सरपंच या संबंधित अधिकारियों को क्यों नहीं दी। जिम्मेदार लोगों की लापरवाही के चलते एक बच्चे की मृत्यु हो गई। इस बात पर भी विश्वास करना नामुमकिन है कि बच्चों खेलने-कूदने के स्थान में इस प्रकार लापरवाही कैसे बरती जा सकती है। परिसर के पास की घटना जिले में आंगनबाड़ी केन्द्र में हुए इस हादसे ने महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही को उजाकर कर दिया है जबकि केन्द्रों की मॉनीटरिंग के लिए मैदानी स्तर पर टीम बनी है। खबर है कि जिले में कई आंगनबाड़ी केन्द्र किराए के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं। केन्द्रों में खेलने-कूदने लायक जगह भी नहीं है।
परिजन सदमें में, ग्रामीणों में रोष इस हादसे से परिजनों का रो-रोककर बुरा हाल है तो वहीं ग्रामीणोें में रोष है। बताया गया कि ग्रामीणों ने जब टैंक के ढक्कर को लेकर पूछताछ की तो चोरी होना बताया गया है जबकि ढक्कर की चोरी कौन कर सकता है। ग्रामीणों ने हादसे पर नाराजगी जताई है।