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परिजनों ने जब इसका विरोध किया, तो उन्हें जैसे-तैसे समझाकर लौटा दिए, लेकिन अब दोनों ही प्रसूताओं के घर वाले आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं कि उनकी गोद में खेल रहा बच्चा उन्हीं का है या अदला बदली हो गया है। अब वे बच्चे का रिपोर्ट लेकर अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं। इस तरह की लापरवाही क्यों और कैसे हुई इसका प्रबंधन के पास स्पष्ट जवाब नहीं है।
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दरअसल 22 अगस्त को सुरगी क्षेत्र के मलपुरी निवासी नीलम पति मनीष मंडावी (29) को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने सुबह 5 बजे के आसपास मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। 10.30 बजे महिला का माइनर ऑपरेशन करते हुए प्रसव कराया गया। प्रसूता को तुरंत बताया गया कि आपको बेटा हुआ।
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मितानिन व परिजनों को बताया गया लड़का हुआ। मंडावी परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। उन्होंने सबको पूरे परिवार में बेटा होने की जानकारी दे दी। फिर अचानक एक-डेढ़ घंटे बाद बताया गया कि आपको बेटा नहीं हुआ है, बेटी हुई है। जब परिजनों ने इसका विरोध किया तो बताया गया कि लड़का किसी दूसरे महिला का है, उसी समय डिलवरी होने के कारण गलती हो गई। ऐसी चूक आखिर हुई कैसे। यह अक्षमणीय है।
हमें बेटा या बेटी से दिक्कत नहीं
प्रसूता महिला के पति मनीष मंडावी व परिजन युगल किशोर मंडावी का कहना है कि उन्हें बेटा या बेटी से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें कन्फ्यूजन है कि जो बच्ची उन्हें सौंपी गई है, वह उन्ही की है या नहीं। कहीं बच्चों की अदला-बदली तो नहीं हुई है। ऐसी चूक भला कैसे हो सकती है।
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प्रसव होते ही बताया नीलम को बताया गया था कि बेटा हुआ है। बाहर मितानिन व साथ रहे अन्य परिजनों को भी बेटा होने की जानकारी दी गई, तो चूक कहां हुई। यदि बेटी हमारी है, तो बेटा क्यों बताया गया। उन्होंने बताया कि लड़के का वजन ३ किलो है और लड़की का ढाई किलो है।
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इस तरह की मामले की जानकारी मुझे मौखिक रूप से मिली है, रजिस्टर जांच के बाद पता चला कि उक्त महिला को लड़की ही हुई है। प्रसुता महिला व परिजनों को :ष्शश्च4ह्म्द्बद्दद्धह्ल:सी दिन समझा दिया गया था, दो दिन बाद विरोध समझ से परे है।
-डॉ. प्रदीप बेक, अधीक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पताल
नर्सिंग स्टाफ ने कन्फ्यूजन में बता दिया होगा। उसी समय उन्हें क्लीयर कर दिया गया था। उस दिन दो डिलवरी हुई थी, जिसका बच्चा था, उसे दे दिया गया था। इसके बाद भी उन्हें कन्फ्यूजन है, तो परिजन डीएनए टेस्ट करा ले।
-डॉ. मीना आरमो, प्रभारी गायनिक वार्ड