गांव में स्कूल नहीं होने से शिक्षा से दूर बच्चे
यह हम नहीं कह रहे खुद गांव में रहने वाले लोग यह बात बताते हैं। कहने को जिला मुख्यालय से यह गांव कुछ ही दूरी पर है, लेकिन यहां आने जाने के लिए रास्ता बड़ा ही दुर्गम है। पहले यहां प्राइमरी स्कूल तक नहीं था। उस समय तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ इलैयाराजा टी पैदल इस गांव पहुंचे थे और उन्होंने शासन से मांग करते हुए यहां प्राथमिक विद्यालय की शुरुआत करवाई थी। ऐसे में कक्षा पांचवी तक यहां के बच्चे गांव में और उसके बाद गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित दाताग्राम में मिडिल स्कूल की पढ़ाई करते हैं। लेकिन जो बच्चे कक्षा आठवीं में प्रवेश लेते हैं, उनमें से न के बराबर ही स्कूल जाते हैं। कहने का मतलब 20-25 बच्चों के नाम दाताग्राम स्कूल में दर्ज हैं, लेकिन मुश्किल से दो-तीन बच्चे ही स्कूल जा रहे हैं। यह गांव तंवर समाज बाहुल्य गांव हैं।
चाइल्ड लाइन ने किया सर्वे
चाइल्ड लाइन की टीम जब दफ्तरी गांव में पहुंची तो पता लगा कि इस गांव में 18 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने मिडिल स्कूल पास कर लिया है। लेकिन एक भी बच्चा इनमें से कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए नहीं पहुंचा और न ही किसी स्कूल में उसका नाम दर्ज है। बालिकाओं कि कम उम्र में शादी हो गई। यहां बच्चों ने बताया है कि राजगढ़ पढ़ाई करने जाने में परेशानी आती है। एक तरफ हाईवे है और दूसरी तरफ से यदि पढ़ाई करने जाते हैं, तो लगभग 10 से 12 किलोमीटर स्कूल पड़ता है।
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जागरूकता अभियान
जानकारी लगने के बाद अब चाइल्ड लाइन इस गांव में जागरूकता अभियान चला रही है, इसके तहत उनकी यही उम्मीद है कि बच्चे कक्षा आठवीं के बाद भी स्कूल जाएं। यहां चाइल्ड लाइन ने एक शिविर लगाते हुए वहां न सिर्फ बच्चों बल्कि परिजनों से भी चर्चा करते हुए उन्हें स्कूल भेजने की अपील की। इसके अलावा किसी भी तरह की समस्या को लेकर चाइल्ड लाइन के सदस्यों जिनमें अरुण सातालकर, मनीष दांगी आदि ने बच्चों को बताया कि किसी तरह की भी यदि समस्या उनको आती है तो वह 1098 हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं।
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स्कूल होना जरूरी
आसपास स्कूल हो तो न सिर्फ इस गांव के बच्चों को बल्कि कुछ और गांव के बच्चे भी आगे पढ़ाई जारी रख पाएंगे। बच्चों को शिक्षा जरूरी है। यह क्षेत्र शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ा है। यहां अभी बहुत कुछ होना जरूरी है।
-अरुण सतालकर, अहिंसा वेलफेयर सोसायटी, राजगढ़