जानकारी के अनुसार जीरापुर के एक निजी किड्स स्कूल के छोटे से वाहन में दो दर्जन बच्चों को पिपल्याकला गांव 13 किलोमीटर ले जाते है। अंदर जगह न होने पर स्कूल प्रबंधन छोटी वैन से अधिक पैसे कामने के लालच में वैन की छत तक पर बच्चों को बैठाकर मौत की सवारी कराने से गुरेज नहीं करता।
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अभिभावकों ने जान जोखिम में डाली तो टला बड़ा हादसा
मामले को लेकर अभिभावकों का कहना है कि, शनिवार को इन बच्चों के साथ बड़ा हादसा हो जाता। रास्ते में घाटी नहीं चढ़ पाने से बच्चों से भरा ये वाहन पीछे लुढ़क गया, जिसे ग्रामीणों ने जान पर खेलकर रोका। आगे जाने पर वाहन में धुंआ निकलने लगा। अभिभावकों द्वारा कई बार स्कूल प्रबंधन को सुविधाजनक वाहन भेजे जाने का आग्रह किया है, लेकिन स्कूल प्रबंधन इस ओर ध्यान देने को तैयार ही नहीं है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच कर स्कूल को नोटिस जारी करने की बात कहकर अपनी लापरवाही से पल्ला झाड़ते नजर आए।
बीमा और फिटनेस भी खत्म
जीरापुर तहसीलदार एआर चिरावन टीम समेत जांच करने पहुंचे थे। जांच में पता चला कि, जिस गाड़ी में बच्चों को ले जाया जा रहा था उसका बीमा 25 जुलाई 2020 को और फिटनेस 26 मार्च 2021 को खत्म हो चुका था। उन्होंने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
पहले भी 10 छात्रों की जान ले चुकी है लापरवाही
इसके पूर्व में भी राजगढ में स्कूली बच्चों से भरा टेंपो पलट गया था जिससे 10 बच्चों की मौत हो गई थी। उसके बाद प्रशासन ने स्कूलों पर नकेल कस गाइड लाइन जारी की थी। 8 बच्चो की गाइडलाइन वाले मैजिक में 25 बच्चे बिना सेफ्टी के बैठेंगे तो इस पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है।
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