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रामगंजमंडी-भोपाल रेल लाइन: 21 साल का इंतजार खत्म होगा, एमपी और राजस्थान को मिलेगा बड़ा फायदा

रामगंजमंडी-भोपाल रेल लाइन: 21 साल बाद जागी उम्मीद, जिले में शुरू हुआ काम, 2024 तक हर हाल में ट्रेन चलाने का दावा

राजगढ़Apr 26, 2022 / 12:31 pm

Manish Gite

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राजेश विश्वकर्मा

ब्यावरा (राजगढ़)। 21 साल से टलते आ रहे पश्चिम मध्य रेलवे के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को गति मिली है। राजस्थान की सीमा में लगभग तैयारी को ओर उक्त प्रोजेक्ट का काम अब मप्र की सीमा में भी गति पकडऩे लगा है। इससे निश्चित ही काफी यात्रियों को लाभ मिलेगा। कुछ जमीन अधिग्रहण के मामले अभी भी शेष हैं, कुछ पर काम कर लिया गया है, अवॉर्ड भी कर दिए गए हैं।

अब फाइनल उक्त प्रोजेक्ट को गति मिली है, जो धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। दरअसल, 2007 से शुरू हुए प्रोजेक्ट की रफ्तार बीच में थम गई थी। फिर धीरे-धीरे हर बार के रेल बजट में कुछ राशि इसे मिली।

इसके बाद उपयोग नहीं होने के कारण कई बार राशि लेप्स भी हुई। अब इसमें अलग-अलग बार में बजट में राशि मिली है, जिससे भूमि अधिग्रहण के मामले निपटाने के बाद अर्थ वर्क और अन्य काम शुरू कर दिए गए हैं।

 

 

 

एमपी के तीन, राजस्थान के २ जिलों को समृद्ध बनाएगी

जिले के सपनों की यह रेल लाइन न सिर्फ जिलेवासियों की राह आसान करेगी, बल्कि उनकी जीवनशैली भी बदल देगी। ऐसे कई लोग जिनका वास्ता अभी तक ट्रेनों से नहीं पड़ा। जिले के अंदरुनी हिस्से में बसे ऐसे रेल सुविधा से वंचित लोगों को रेल सुविधा नया अनुभव लेकर आएगी। साथ ही भोपाल से लेकर रामगंजमंडी तक दो राज्यों से होकर जाने वाली यह लाइन मध्य प्रदेश के तीन और राजस्थान के दो जिलों को समृद्ध बनाएगी।

 

मप्र के भोपाल, सीहोर और राजगढ़ जिले के साथ ही राजस्थान के कोटा और झालावाड़ जिले में इस लाइन से काफी संभावनाएं बढ़ेंगी। इन जिलों मेें आपसी रिश्तेदारियां होने से लोगों को आने जाने में सुविधा मिलेगी। राजगढ़ जिले के किसान ट्रेनों की कनेक्टिविटी बढऩे से अपनी उपज और जिंस इत्यादि दूर स्टेशनों तक ले जा पाएंगे। सभी प्रकार की माल गाडिय़ों की संभावनाएं भी यहां बढ़ेंगी। कुल मिलाकर यह काफी फायदे की ट्रेन साबित होगी, जिससे बिजनेस, लॉजिस्टिक हब और ट्रांसपोर्टेशन सहित राजस्थान से मप्र की सीधी कनेक्टिविटी भी बढ़ाएगी।

जानें.. रामगंजमंडी-भोपाल रेल लाइन का पूरा सफर…

जिले के लिए सबसे फायदे के इस प्रोजेक्ट की नींव वर्ष-2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार के दौरान रखी गई थी, हालांकि उस दौरान सिर्फ घोषणा हुई थी अलॉटमेंट नहीं हो पाया था। शुरुआत में यह प्रोजेक्ट रामगंजमंडी से झालावाड़ के बीच 25 किमी का था, जिसे 2009 में राजगढ़ के तत्कालीन सांसद नारायण सिंह आमलाबे ने गति दिलाई। इस 25 किमी हिस्से में पहली बार चली ट्रेन को कोटा के तत्कालीन सांसद इज्येराजसिंह और राजगढ़ सांसद आमलाबे ने कोटा से हरी झंडी दिखाई थी। उस दौरान की यह पहली गाड़ी चली। वर्ष-2011-12 के रेल बजट में 250 करोड़ रुपए अलॉट हुए थे, जिसके बाद पूरी भोपाल-रामगंजमंडी तक की लाइन फाइनल हुई।

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दो टनल से होकर गुजरेगी रामगंजमंडी लाइन की ट्रेनें

राजस्थान के अकलेरा क्षेत्र में इस लाइन के लिए पहाड़ी खोदकर दो जगह से टनल बनाए जा रहे हैं। इसमें करीब 360 मीटर लंबा टनल अकलेरा के मदनपुरिया गांव के पास बनाया गया है। साथ ही दूसरा टनल घाटोली के पास केल खोयरा क्षेत्र की पहाड़ी खोदकर बनाया जा रहा है। इन दो टनल से होकर गाडिय़ां मप्र की सीमा में प्रवेश करेंगी।

 

 

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ये रहेगा पूरा रूट

रामगंजमंडी से झालावाड़ होते हुए ट्रेन सिंगल इलेक्ट्रिक ट्रेक पर दौड़ेंगी। झालावाड़ से झालरापाटन, असनावर, जूनाखेड़ा, अकलेरा, घाटोली, मप्र का भोजपुर, खिलचीपुर (मैन शहर से दो किमी अंदर स्टेशन रहेगा), राजगढ़, ब्यावरा, नरसिंहगढ़, कुरावर, श्यामपुर, बैरागढ़ और भोपाल जाएगी। पहले भोपाल में निशातपुरा और डीआइजी बंगले से होकर लाइन निकलने वाली थी, लेकिन बाद में इसे बदला गया, अब बेरागढ़ होती हुई यह मैन स्टेशन से मिलेगी।
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