राजगढ़

बारिश ने बर्बाद कर दी फसलें, पीली पड़ी सोयाबीन, प्रशासन दोबारा करेगा सर्वे

-पहले लगातार बारिश से अफलन और बांझपन की दिकक्त, अब फिर बारिश से सडऩे लगीं सोयाबीन की फलियां

राजगढ़Sep 16, 2019 / 06:06 pm

Rajesh Kumar Vishwakarma

बारिश ने बर्बाद कर दी फसलें, पीली पड़ी सोयाबीन, प्रशासन दोबारा करेगा सर्वे

ब्यावरा. लगातार बारिश ने जहां जमीन से पानी की तरप (पानी बहना) लग गईहै और पक्के से पक्के मकानों ने सीलन पकड़ ली है वहीं, फसलों को भी लगभग पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। किसानों को फसलों का जायजा लेने तक का समय बारिश नहीं दे रही है।

दरअसल, इससे पहले हुई बारिश में खराब हुईसोयाबीन अफलन और बांझपन का शिकार हुई। थोड़ी बहुत गेप में वह रिकवर होने लगी थी और बीते एक सप्ताह से फिर लगातार बारिश हो रही है, इससे फसलें पूरी तरह से बर्बाद होने की ओर है। खास बात यह है कि प्रशासनिक स्तर पर पहले किएगए सर्वे की रिपोर्टअभी तक बीमा कंपनी नहीं दे पाई है।
साथ ही नुकसान का पूरा आंकलन करने अब प्रशासन की टीमें फिर से खेतों में पहुंचेंगी।


दोबारा सर्वे करवाया जाएगा
हालांकि इसके लिए पर्याप्त खुला मौसम भी जरूरी है। अभी मौसम ही उन्हें सर्वे करने की इजाजत नहीं दे रहा। हालांकि प्रशासन की मंशा है कि आगामी दिनों में दोबारा सर्वे करवाया जाएगा, जैसे भी आंकलन नुकसान का होगा, उसी हिसाब से आगे की रूप-रेखा तय होगी।

तालाब बने खेत, पीले पडऩे लगे पौधे
बारिश से नुकसान का आलम यह है कि तमाम खेत तालाब बन चुके हैं, जहां की सोयाबीन की फलियां बची थीं वे पीली पडऩे लगी हैं।अत्यधिक बारिश के कारण उनकी वृद्धि रुक गई है। लगातार खेतों में पानी भरा रहने से सोयाबीन के पौधे सडऩे लगे हैं, फलियों ने भी सडऩ पकड़ ली। इससे न सिर्फ सोयाबीन की गुणवत्ता खराब हो रही बल्कि इसका सीधा असर क्वालिटी पर भी पड़ रहा है। कई खेतों में बारिश थम जाने के बाद भी पानी बाहर नहीं हुआ, खेतों में पूरी तरह से कीचड़ मचा हुआहै। ऐसे में उन्हें लगभग 100प्रतिशत के नकुसान में माना जा रहा है।


औसत नुकसान 50 फीसदी लेकिन आंकलन नहीं!
बारिश से पहले किएगए सर्वेऔर वर्तमान के नुकसान को देखते हुएमाना जा रहा है कि जिलेभर में करीब 50 फीसदी नुकसान हुआहै, लेकिन यह आंकलित नहीं है। यानि बीमा कंपनियों और राजस्व की टीम ने फाइनल आंकलन रिपोर्टअभी नहीं दी है लेकिन बारिश के कारणफसलों की स्थितियों और वर्तमान परिस्थितयों को देखते हुएयह नुकसान अनुमानित है। पूरी तरह से नुकसान का जायजा लेने राजस्व, कृषि विभाग और बीमा कंपनी फिर से किसानों की खराब हुईउपज का जायजा लेंगे।

पिछला बीमा मिला नहीं, इस बार भी सर्वे तक सीमित
बीमा कंपनी ने भले ही अपने स्तर की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली हो लेकिन अभी तक पिछले दो सालों की बीमा राशिही किसानों को नहीं मिल पाई। वर्ष-2017-18 की कुछराशिअभी भी शेषहै।वहीं, पिछली बार (2018-19) का बीमा अभी आया ही नहीं है। शासन स्तर पर ही यह अटका हुआहै।

साथ ही इस बार (2019-20) की रिपोर्टही अभी नहीं गई। इसमें जिन किसानों की प्रीमियम राशिकाटी गईहै उन्हें पोर्टल पर चढ़ाया जाना है लेकिन अभी शासन का पोर्टल भी नहीं खुला है। ऐसे में किसानों को महज सर्वे रिपोर्टके आधार पर ही संतुष्ट होना पड़ेगा। माना जा रहा है कि बीमा राशि के साथही राजस्व टीम द्वारा किएजा रहे सर्वे के आधार पर मुआवजा भी किसानों को मिलेगा, लेकिन इसका निर्धारण राज्य सरकार करेगी।

 

दोबारा होगा सर्वे
पहले किएगए सर्वे के बाद कुछहद तक उपज रिकवर होने लगी थी, लेकिन फिर से लगातार बारिश ने सोयाबीन की गति रोक दी है। पहले फूल खराब हुए थे लेकिन कहीं-कहीं रिलॉवरिंग भी होने लगी थी, अब फिर से इसका सर्वे करवाया जाएगा।
-हरीश मालवीय, उप-संचालक, कृषि विभाग, राजगढ़


शासन स्तर पर जितनी मदद होगी करेंगे
मौसम खुलते ही हम खुद खेतों में जाएंगे, सर्वे रिपोर्ट राजस्व ने भी तैयार की है। क्रॉट कटिंग के आधार पर जो नुकसान होगाउसी हिसाब से मुआवजा भी शासन स्तर पर देंगे लेकिन इसका निर्णयशासन स्तर पर ही लिया जाएगा।
-निधि निवेदिता, कलेक्टर, राजगढ़

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