तीखी झुलसा देने वाली गर्मी के बाद अचानक हुई ठंडक और फिर उमस से लोग बीमार पड़ने लगे हैं। खासकर पेट दर्द, उल्टी के साथ ही एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ी है। ठंडा-गरम हो जाने से सर्दी के साथ ही खांसी और बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस मौसम में पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए और साफ पानी पीना चाहिए। साथ ही आसानी से पच सके ऐसा भोजन करना चाहिए।
लोकल में उपचार करवा खराब कर रहे सेहत सिविल अस्पताल में अधिकतर ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिनकी तबीयत कहीं और ले जाने और झोलाछाप डॉक्टर्स को दिखा लेने से बिगड़ चुकी होती है। यानी वे हेवी डोज या अनजान लोगों से दवाइयां लेकर आते हैं और सेहत बिगाड़ लेते हैं। फिर मेडिकल ऑफिसर्स उन्हें भर्ती कर देते हैं। जरूरत से ज्यादा पॉवर वाली दवाइयां दे देने से मरीजों का शरीर उन्हें वहन नहीं कर पाता। इससे उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़़ जाती है। इसके बाद ही वे सरकारी अस्पताल में पहुंचते हैं और फिर यहां भर्ती कराने की नौबत आती है।
पानी की कमी ही प्रमुख कारण तेज गर्मी के दौरान लू लगने की एक अहम समस्या थी। ठीक उसी प्रकार इस मौसम में पानी की कमी ही प्रमुख कारण है, जिसके चलते लोग बीमार पड़ जाते हैं। देर रात तक तेल वाला खाना खा लेने से वह पच नहीं पाता। बिना पचने वाले खाने और पानी की कमी से डिहाइड्रेशन हो जाता है। जिससे उल्टी-दस्ती की स्थिति बनती है। लोग बीमार पड़ने लग जाते हैं। इसी कारण इस मौसम में मरीजों की संख्या आम तौर पर बढ़ ही जाती है।
फैक्ट-फाइल -450 ओपीडी सोमवार की -200-250 आम तौर पर रहती है ओपीडी -100 मरीज उल्टी-दस्त के -100 मरीज पेट दर्द के -100-150 मरीज एलर्जी, सर्दी-जुखाम के (स्त्रोत : सिविल अस्पताल, ब्यावरा)
हर मौसम में खाने का ध्यान रखें हर मौसम के हिसाब से खाना होता है, उसी हिसाब से डाइट लेना चाहिए। अत्यधिक गर्मी और उसम वाले मौसम में तेल वाले खाने से बचना चाहिए। इससे पाचन शक्ति गड़बड़ होती है। अच्छा पच जाने वाला सामान्य भोजन करें। अस्पताल में भर्ती अधिकतर मरीज एलर्जी और पेट संबंधी दिक्कतों के चलते उपचाररत हैं।
-डॉ. सौरिन दत्ता, प्रभारी मेडिकल ऑफिसर, सिविल अस्पताल, ब्यावरा