राजगढ़

क्राइम ब्रांच की टीम से छीना लैपटॉप और मोबाइल, जान बचाकर भागे पुलिसवाले

राजगढ़ जिले में छानबीन करने आई क्राइम ब्रांच की टीम को कडिय़ा में घेर कर उनके साथ मारपीट कर मोबाइल और लैपटॉप छीन लिया, वे जान बचाकर भागने लगे तो उन्हें गांव की सीमा से बाहर नहीं निकलने दिया.

राजगढ़Dec 05, 2022 / 08:31 am

Subodh Tripathi

क्राइम ब्रांच की टीम से छीना लैपटॉप और मोबाइल, जान बचाकर भागे पुलिसवाले

राजगढ़. मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में छानबीन करने आई क्राइम ब्रांच की टीम को कडिय़ा में घेर कर उनके साथ मारपीट कर मोबाइल और लैपटॉप छीन लिया, वे जान बचाकर भागने लगे तो उन्हें गांव की सीमा से बाहर नहीं निकलने दिया, ऐसे में जानकारी मिलने पर आसपास के दो थानों की पुलिस ने पहुंचकर क्राइम ब्रांच की टीम को छुड़ाया।

इंदौर क्राइम ब्रांच की टीम राजगढ़ के बोड़ा थाने के कडिय़ा गांव में चोरों की जानकारी जुटाने पहुंची। सिविल ड्रेस में होने के कारण ग्रामीणों ने उन्हें रोक लिया और लैपटॉप के साथ मोबाइल भी छीन लिए। इतना ही नहीं, उनके साथ मारपीट भी कर दी। बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंचे तो क्राइम ब्रांच पुलिसकर्मी उन्हें देखकर भागने लगे। इसी बीच मामले जानकारी स्थानीय पुलिस को लगी तो बोड़ा और पचोर थाने की पुलिस वहां पहुंची और उन्हें ग्रामीणों के चंगुल से छुड़ाकर लाई।


जानकारी के अनुसार, मामला शनिवार का है, जब इंदौर क्राइम ब्रांच टीम के 2 सदस्य मोटरसाइकिल से सिविल ड्रेस में कडिय़ा गांव पहुंचे। लैपटॉप के माध्यम से वहां विभिन्न तरह की लोकेशन और जानकारी एकत्रित कर रहे थे। इसी बीच जब गांव के बाहर ही सीमा पर खड़े इन दो पुलिसकर्मियों को ग्रामीणों ने देखा तो उन्हें शक हो गया। धीरे-धीरे आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों ने उन्हें रोक लिया। जिसके बाद पूछताछ की तो पुलिसकर्मियों और ग्रामीणों के बीच कहासुनी हुई। जिसके बाद उन्होंने अन्य ग्रामीणों को भी आवाज देकर मौके पर बुला लिया। ऐसे में पुलिस कर्मियों के साथ उन्होंने मारपीट भी की। जैसे तैसे क्राइम ब्रांच के पुलिस वाले वहां से भागे, लेकिन गांव से बाहर नहीं निकल पाए। इसी बीच किसी ने बोड़ा थाना पुलिस को जानकारी दे दी। फिर पुलिस वहां पहुंची और पूरे मामले को पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया गया। जांच पड़ताल के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।


ग्रामीणों पर केस दर्ज, कई धाराएं लगाई
जानकारी के बाद न सिर्फ बोड़ा पुलिस बल और पचोर पुलिस भी दोनों थाना प्रभारियों के साथ गांव तक पहुंचे। उन्होंने जो पुलिसकर्मी इंदौर से आए थे उन्हें ग्रामीणों के बीच से निकाला और पूछताछ की। उन्होंने बताया कि वे कडिय़ा गांव में टीएसटीएन डाटा एकत्रित कर रहे थे। तभी गांव के पांच-छह लोग आए और रोक लिया और मारपीट करने लगे। उन्होंने मौके से भाग कर अपने आप को बचाया। घटना के बाद थाने में आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया। मुख्य रूप से 363, 353, 294, 323, 506, 186, 34 जैसी धाराएं शामिल हैं।


चोरी के मामलों में विख्यात हैं ये गांव
जिले की पुलिस की यदि बात की जाए तो लोकल पुलिस को किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई थी। पुलिस को उस समय जानकारी लगी जब यह घटनाक्रम हो चुका था। इससे पहले भी 3 माह पहले इंदौर पुलिस किसी तरह चोरों को पकडऩे के लिए जब गांव में पहुंची थी, उस समय भी उनके साथ मारपीट हुई थी। क्या कारण है इंदौर पुलिस आरोपियों को पकडऩे के लिए जिले की पुलिस का सहारा लिए बगैर ही गांव में प्रवेश करना चाहती है। कडिय़ां, गुलखेड़ी, हुलखेड़ी ऐसे गांव हैं जिन गांव के नाम ना सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश और पूरे देश में चोरी के मामलों में विख्यात हैं। हालांकि अब अधिकांश परिवार सरकारी सेवाओं से जुड़ गए हैं। लेकिन जो लोग इस तरह का काम कर रहे हैं, उन्होंने पूरे गांव को ही बदनाम कर रखा है।

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इंदौर पुलिस आई थी, उन्हें ग्रामीणों ने रोक लिया था जैसे ही हमें जानकारी लगी तो हम मौके पर पहुंचे और उन्हें लेकर आएं जिन लोगों ने पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता की उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया।

-संदीप मीणा, थाना प्रभारी बोड़ा

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