जिला बनाने में इन दो महलों का योगदान
बड़े महल को पहले सरकारी विभागों का भवन कहा जाता था। इसमें एक दर्जन से भी ज्यादा सरकारी कार्यालय संचालित हो रहे थे। रियासतकाल के बाद इसे सरकार ने अपने आधिपत्य में लेते हुए इसमें विभिन्न विभागों के कार्यों को संचालित करना शुरू किया गया। उल्लेखनीय है राजगढ़ को जिला मुख्यालय बनाने में यह दो महल ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बने, क्योंकि राजगढ़ के तत्कालीन राजपरिवार ने यह महल सरकार को सौंपा गया, तब जाकर राजगढ़ को जिला बनाया था, क्योंकि सरकारी कार्यालय के लिए सीधे कई भवन उपलब्ध करा दिए गए थे।
100 साल से यूं ही खड़ा है यह महल
महल की स्थापना 1910 की थी, तब से आज भी यह महल अपनी सुंदरता की कहानी बयां खुद करते हैं। महल की नक्काशी और दीवारें आकर्षक हैं। दरवाजा और गैलरी की लगाई गई जालियां भी बहुत आकर्षक हैं। इसे लोग हमेशा देख सकें इसके लिए पुरातत्व विभाग ने संरक्षित सूची में शामिल किया है।
महल की स्थापना 1910 की थी, तब से आज भी यह महल अपनी सुंदरता की कहानी बयां खुद करते हैं। महल की नक्काशी और दीवारें आकर्षक हैं। दरवाजा और गैलरी की लगाई गई जालियां भी बहुत आकर्षक हैं। इसे लोग हमेशा देख सकें इसके लिए पुरातत्व विभाग ने संरक्षित सूची में शामिल किया है।
बंद किए दरवाजे
महल को पुरातत्व विभाग द्वारा संवारा जाए इसको लेकर तत्कालीन कलेक्टर निधि निवेदिता ने खासे प्रयास किए थे और इसकी रंगाई पुताई भी शुरू करवाई थी। इसके बाद कलेक्टर नीरज सिंह और कलेक्टर हर्ष दीक्षित के खासे प्रयास रहे। जिसके बाद फाइल आगे बढ़ी और अब जाकर यह इस स्थिति में आ सका। संरक्षित भवनों की सूची में शामिल करने के साथ ही यहां पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षण किया और जो महल के मुख्य दरवाजे थे, उन्हें बंद किया ताकि कोई भी अंदर न जा सके। वहीं अब यह प्रयास किया जा रहा है, कि बजट आए और वापस से इन्हें संवारा जा सके।
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16 खंभे और रानी रूपमती के मकबरे का भी प्रस्ताव
नरसिंहगढ़ और सारंगपुर में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित कई स्थान हैं, जिनमें समय-समय पर सुधार की दिशा में काम होते रहते हैं। हाल ही में रानी रूपमती के मकबरे में हुई तोडफ़ोड़ के कारण वहां की स्थिति खराब हो रही है। जबकि नरसिंहगढ़ के 16 खंबे के आसपास से लोग पत्थर निकाल ले गए और अब खंबे न गिर जाए इसको लेकर प्रयास किया जा रहा है। दोनों जगह के सुधार को लेकर बजट संबंधी प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृत होने के साथ ही इन्हें और आकर्षक बनाया जाएगा।
16 खंभे और रानी रूपमती के मकबरे का भी प्रस्ताव
नरसिंहगढ़ और सारंगपुर में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित कई स्थान हैं, जिनमें समय-समय पर सुधार की दिशा में काम होते रहते हैं। हाल ही में रानी रूपमती के मकबरे में हुई तोडफ़ोड़ के कारण वहां की स्थिति खराब हो रही है। जबकि नरसिंहगढ़ के 16 खंबे के आसपास से लोग पत्थर निकाल ले गए और अब खंबे न गिर जाए इसको लेकर प्रयास किया जा रहा है। दोनों जगह के सुधार को लेकर बजट संबंधी प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृत होने के साथ ही इन्हें और आकर्षक बनाया जाएगा।
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जीवित रखना जिम्मेदारी
शासन से अब राजगढ़ के बड़े महल को पुरातत्व विभाग की संरक्षित भवनों की सूची में शामिल किया है। इसे संरक्षित किया जाए और बेहतर बनाया जाए। भोपाल स्तर के अधिकारी भी इसका निरीक्षण करने के लिए आएंगे और जो भी संभव होगा बेहतर से बेहतर किया जाएगा।
-जीपीएस चौहान, जिला अधिकारी, पुरातत्व विभाग
जीवित रखना जिम्मेदारी
शासन से अब राजगढ़ के बड़े महल को पुरातत्व विभाग की संरक्षित भवनों की सूची में शामिल किया है। इसे संरक्षित किया जाए और बेहतर बनाया जाए। भोपाल स्तर के अधिकारी भी इसका निरीक्षण करने के लिए आएंगे और जो भी संभव होगा बेहतर से बेहतर किया जाएगा।
-जीपीएस चौहान, जिला अधिकारी, पुरातत्व विभाग