सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस केवी विश्वनाथन ने की। इस दौरान प्रदेश सरकार की ओर से दायर किए गए एफिडेविट के बारे में सरकार के वकील ने कोर्ट को अवगत कराया। कहा कि 15 मई 2024 को जारी किए गए आदेश केवल राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों पर लागू है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीटीएच पर नहीं।
कोर्ट ने कहा कि उनकी ओर से पूर्व में जारी किए गए आदेश स्पष्ट हैं और वह सरिस्का पर भी लागू होते हैं। किसी प्रकार की कोई आपत्ति हो तो इस पर एफिडेविट जमा करने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने कहा कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीटीएच से एक किमी के दायरे में आने वाली 57 चालू खदानें व 43 गैर परिचालन खनन पट्टों की खनन गतिविधियां नहीं चल सकती हैं। हालांकि सरकार ने अपने एफिडेविट में खुद बताया कि संबंधित खानें बंद करा दी गई हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि अब आगे इस मामले में कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। इसी के साथ यह केस खत्म हो जाता है।
सबसे ज्यादा खानें यहां संचालित
सरिस्का के पास सबसे ज्यादा खानें टहला रेंज, झिरी, अजबगढ़, थानागाजी, तिलवाड़ आदि एरिया में संचालित थीं। यहां का मारबल दूर-दूर तक जाता था। रेवेन्यू भी सरकार को अच्छा मिलता था। साथ ही हजारों लोगों को रोजगार भी खानों के जरिए मिला हुआ था।
अब सरकार को अन्य कॉमर्शियल गतिविधियां करानी होंगी बंद
सरिस्का सीटीएच से एक किमी के दायरे में खानों के बंद होने के बाद अब सरकार को अन्य कॉमर्शियल गतिविधियों को बंद कराना होगा। इस आदेश का असर होटल-रेस्टोरेंट के संचालन पर पड़ेगा। पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी ने सरिस्का सीटीएच से एक किमी के दायरे में कॉमर्शियल गतिविधियों के संचालन न करने के आदेश दिए थे। साथ ही कोर व बफर एरिया में इनका संचालन बंद करना है, जो कि सरकार व प्रशासन अब तक नहीं कर पाया। केवल नोटिस तक ही मामला अटका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद होटल संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है।