परिसीमन में खत्म हुई बरेली विधानसभा 2003 के चुनाव नए परिसीमन के बाद हुए थे। जिसमें बरेली विधानसभा को खत्म कर बरेली तहसील सहित बाड़ी तहसील के नर्मदांचल को उदयपुरा विधानसभा में शामिल किया गया। इससे पहले बरेली विधानसभा में सिलवानी तहसील भी शामिल थी। परिसीमन में सिलवानी को नई विधानसभा बनाते हुए बेगमगंज तहसील को इसमें शामिल किया गया। इस तरह बरेली विधानसभा का अस्तित्व खत्म कर सिलवानी को जन्म दिया गया था।
शर्मा ने शुरू जीत की परंपरा
1956 में प्रदेश के गठन के बाद पहले चुनाव में डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उदयपुरा विधानसभा से कांग्रेस की जीत का श्रीगणेश किया था। हालांकि तीन चुनाव बाद ही 1977 में जनता पार्टी के गोवर्धन सिंह ने जीत हासिल की। फिर दिलीप सिंह ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में अगला चुनाव जीता। कांग्रेस ने यहां से 1985 में फिर वापसी की और डॉ. शंकरदयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा लगातार दो बार चुनाव जीतीं। उनके बाद युवा चेहरे के रूप में भाजपा ने रामपाल सिंह को उतारा और वे लगातार चार बार यहां से विधायक रहे। परिसीमन के बाद पहला चुनाव भी उन्होंने जीता, उसके बाद एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा इस सीट से चुनाव जीतती रही है।
इस तरह चली उदयपुरा विधानसभा
1956 शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस
1961 शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस
1966 शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस
1972 गौतम शर्मा कांग्रेस
1977 गोवर्धन सिंह जनता पार्टी
1980 दिलीप सिंह भाजपा
1985 विमला शर्मा कांग्रेस
1987 विमला शर्मा कांग्रेस
1990 रामपाल सिंह भाजपा
1993 रामपाल सिंह भाजपा
1998 रामपाल सिंह भाजपा
2003 रामपाल सिंह भाजपा
2005 शशि प्रभा भाजपा
2008 भगवान सिंह कांग्रेस
2013 रामकिसन पटेल भाजपा
2018 देवेंद्र पटेल कांग्रेस
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