सुविधाएं लेने राज्यमंत्री के लेटरहेड पर भेज रहे कार्यक्रम
दीपक नागर, औबेदुल्लागंज. बीजेपी के सुरेंद्र पटवा भोजपुर के विधायक हैं लेकिन वे खुद को मंत्री बता रहे हैं। मंत्री जैसी सुविधाएं लेने के लिए कलेक्टर व एसपी को अपने नाम के साथ राज्यमंत्री लिखकर पत्र जारी कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अधिकारी भी इनको ये सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। वे पांच साल पहले राज्य मंत्री रहे हैं लेकिन उसका रौब अभी तक कायम है। एक्सपर्ट का कहना है कि संवैधानिक तौर पर ये उचित नहीं है। ये कदाचरण की श्रेणी में आता है।
विधायक सुरेंद्र पटवा 2013 से 2018 तक राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री रहे, लेकिन फिलहाल वे मंत्रिमंडल में नहीं हैं। इसके बाद भी अपने नाम के आगे राज्यमंत्री लगा रहे हैं। पुलिस भी इनको एक पेट्रोलिंग वाहन दे रही है और अधिकारी साथ रहते हैं। वे ब्लॉक के अधिकारियों की बैठक मौखिक सूचना पर भी तत्काल में रख लेते हैं।
विधायक का कदाचरण विधायक सुरेंद्र पटवा का यह काम कदाचरण की श्रेणी में आता है। यदि कोई विधायक कदाचरण करता है और उसकी शिकायत की जाती है तो सदन की आचरण समिति जांच कर सकती है। समिति को स्वयं जांच करने का अधिकार नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष भी इस मामले में स्वयं संज्ञान नहीं ले सकते। वे भी शिकायत के बाद मामला आचरण समिति को सौंप सकते हैं।
पूर्व मंत्री को अधिकार नहीं — मप्र विधानसभा के रिटायर्ड प्रमुख सचिव भगवान देव इसराणी बताते हैं कि मंत्री रहते हुए जनप्रतिनिधि को संवैधानिक अधिकार होते हैं। उसे मंत्री या राज्यमंत्री के नाते प्रोटोकॉल भी उपलब्ध होता है, लेकिन पूर्व मंत्री को इस तरह के अधिकार नहीं हैं। पूर्व मंत्री यदि मंत्री के लेटरहैड का इस्तेमाल करता है तो यह कानूनी और संवैधानिक तौर पर उचित नहीं है। यह कदाचरण की श्रेणी में आता है। यदि इस मामले में कोई शिकायत करता है तो कार्रवाई हो सकती है। इसके लिए सदन की आचरण समिति भी है।
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