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नहीं रहा खुशी का ठिकाना
पॉलीफार्म मालिक मुदित ने बताया कि, भूमि पूजन कार्यक्रम से पहले उनके लखनऊ बेंडर का कॉल आया और कहा गया कि आप कार्यक्रम देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि, पूजा स्थली की सजावट में आपके बैग का फूल ही लगाया गया है। जैसे ही बैंडर की ओर से ये बात सुनी मुदित की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने अपने परिचय के लगभग सभी लोगों को कॉल करके इसकी जानकरी भी दी। मुदित के मुताबिक, ये उनके लिए सौभाग्य की बात है कि, 500 वर्षो के संघर्ष के बाद शुरू हुए मंदिर निर्माणकार्य में रायसेन जिले का भी छोटा सा योगदान रहा।
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रायसेन से जुड़ा है भगवान राम का इतिहास
बता दें कि, पॉलीफार्म के पास ही वनगमन के समय भगवान राम ने चातुर्मास बिताए थे। ऐसा कहा जाता है कि, विदिशा बेतवा तट पर भगवान राम पहुंचे थे। पग-पग बेतवा पार किया था। इसीलिए इस नदी का नाम पग्नेश पड़ा। राम के साथ माता सीता और लक्ष्मण भी रायसेन आए थे। जब बारिश शुरू हो गई, तो भगवान राम ने एक पहाड़ी को चुना और वहां छतरीनुमा एक चट्टान के नीचे ठहर गए। यहां उन्होंने चातुर्मास बिताए। ये स्थान राम छज्जा के नाम से आज भा प्रचलित हैं। वहां से कुछ ही दूर पहाड़ पर एक छोटा तालाब है, जिसे सीता तलाई कहा जाता है। यहां माता सीता स्नान किया करती थीं।