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एडवेंचर के शौकीनों को आकर्षित करता है गिन्नौरगढ़ का किला

गोंड रियासत की याद दिलाता है किला खंडहर में तब्दील हो रहा किला।

रायसेनJan 29, 2019 / 07:27 pm

chandan singh rajput

Obeadullahganj Gainnagarad fort is located just 15 kilometers away from Odeudulganj. This fort is called the unsurpassed art of Gond principality. This fort has four palaces with seven floors. Near the fort there are seven ponds and many baviyans, which contain water throughout the year. This Fort attracts adventure fans.

औबेदुल्लागंज. औबेदुल्लागंज से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर गिन्नौरगढ़ किला स्थित है। यह किला गौंड रियासत की कला की नायाब कृति कहा जाता है। इस किले में सात तल वाले चार महल हैं। किले के पास ही सात तालाब व कई बावडिय़ां हैं, जिनमें सालभर पानी भरा रहता है। एडवेंचर के शौकीनों को यह किला अपनी ओर आकर्षित करता है।
बताते हैं कि गिन्नौरगढ़ किले का निर्माण गौंड महाराज ने 13वीं शताब्दी के आसपास कराया था।
यहां अंतिम शासिका रानी कमलापति थीं, जिसकी सुंदरता की चर्चा आज भी होती है। अपने दिवंगत पति के रिश्तेदार चैनशाह के षडय़ंत्रों से बचने के लिए विधवा कमलापति अपने पुत्र को लेकर गिन्नौरगढ़ के किले में आकर छुपी थीं। बताया जाता है कि कमलापति के पति की हत्या चैनशाह ने धोखे से जहर देकर की थी, जिससे बचने के लिए रानी कमलापति ने इस्लामनगर के नबाव दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी थी और बाद में यह किला मोहम्मद खान के अधिकार में चला गया था।
वहीं कुछ लोग बताते हैं कि किले का निर्माण परमार वंश के राजाओं ने किया था। इसके बाद निजाम शाह ने किले को नया रूप प्रदान कर इसे अपनी राजधानी बनाया था। गौंड शासन की स्थापना निजाम शाह ने ही की थी। परमार व गौंड शासकों के बाद मुगल एवं पठानों ने भी यहां शासन किया। किले की मूर्तियां परमार कालीन बताई जाती हैं।
देखरेख के अभाव में खंडहर हो रहा किला
गिन्नौरगढ़ किला सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। देखरेख के अभाव में यह खंडहर में तबदील होता जा रहा है। आसपास गांव के लोग यहां खजाने की तलाश में उन्होंने किले में काफी तोड़-फोड़ व खुदाई की है। मगर इसकी दुर्दशा होती जा रही है। क्योंकि वन विभाग के नियम इस विरासत को बचाने में बड़ी बाधा हैं, वैसे लोगों का कहना है तो ये है कि पुरातत्व विभाग और वन विभाग दोनों को मिलकर ही इसे बचाना के प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं हो सका
बताया जाता है कि पांच साल पहले संस्कृति विभाग द्वारा यह किला राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित होते-होते रह गया। यह किला आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और राज्य पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों की सूची में नहीं है।

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