यह भी पढ़ें : कलयुगी माता-पिता की करतूत! नवजात बच्ची को झाड़ियों में फेंक भागे, रोने की आवाज सुनकर लड़कों ने बचाई जान भगवान सूर्यदेव के एक सहस्त्र नामों के साथ विभिन्न दिव्य सामग्रियों से अर्चन कर संत रविशंकर महाराज के सानिध्य में लोक कल्याण की प्रार्थना की गई। संत ने कहा कि हमारी संस्कृति शाश्वत है।
यह भी पढ़ें : इन छात्रों को मिलेगा स्कालरशिप, ऐसे भरना होगा फॉर्म, फटाफट देखें डिटेल्स… इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हमारे शास्त्रों द्वारा प्रदत्त व्यवस्थाएं हैं। जो हमें जीवन प्रदान करते हुए दैनिक दिनचर्या में हमारा पथ प्रशस्त करती हैं। इसलिए हम शास्त्रों के अनुरूप ईश्वर के रूप में पूजते हैं और इसी का परिणाम हैं कि सनातन धर्म भूमंडल के सबसे प्राचीन विधान के रूप में आज भी विद्यमान है।