सभी को मिलकर उठाने होंगे कदम
पर्यावरण प्रेमी ज्ञानेंद्र पांडेय ने कहा, गौरैया को संरक्षित करने में हम सब कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाकर इनकी मदद कर सकते हैं। जैसे उनके लिए उपयुक्त आवास बनाना, देशी पेड़ और झाड़ियों का अधिकाधिक रोपण करना और कीटनाशकों के उपयोग बंद करना। लोगों को जागरूक करके हम यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहें।
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सुराही वाले घोसले बांट रहे विजय
विजय मिश्रा सुराही में घोसला बना रहे हैं ताकि गौरैया वहां बैठे। उनका कहना है कि गौरैया को सुराही में घर बनाना सहज लगता है। इसलिए मैंने शुरुआत की है। मेरे घर में कई स्थानों पर इसका प्रयोग किया है। परिचितों के जन्मदिन पर मैं उपहार के तौर पर सुराही वाले घोसले देता हूं।
आज कोई नहीं बता पाएगा गौरैया के नाम
मंजीत ने कहा, पिछले 10 सालों से चिड़ियों को पहचानने और उनके जीवनकाल के बारे में लोगों को बता रही हूं। आज चाहे बच्चे हों या बड़े किसी से भी मोबाइल कंपनियों के नाम पूछेंगे तो ले झट से बता देंगे। लेकिन जब उन्हें गौरैया के नाम बताने को कहेंगे तो नहीं बता पाएंगे। मैं लोगों को ये बताती हूं कि सिर्फ दाना-पानी रख देने से हम गौरैया को नहीं बचा पाएंगे। बल्कि हमें ये जानना होगा कि वह क्या खाती है, दाने कैसे ला रही है, कैसे घोसला बना रही है। इसे बनाने का सीजन कौन सा है। चिड़िया एक माध्यम है पर्यावरण के प्रति लोगों को जोड़ना का। वहीं अब तक 2 हजार से ज्यादा लोगों तक अपना संदेश पहुंचा चुकी हूं।