एेसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं। प्राकृतिक रूप से यह स्थल काफी मनमोहक है।छत्तीसगढ़ में जतमई और घटरानी एेसे मंदिर हैं जहां जलधाराएं हर साल माता के चरण छूने मंदिर के अंदर तक पहुंचती हैं। एेसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं।
कैसे पहुंच सकते हैं यहां
राजधानी से लगभग 80 किलोमीटर पर राजिम मार्ग पर स्थित है जतमई का यह स्थल। यहां से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है घटारानी। जतमई पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के बाद यह स्थल पर्यटन के नक्शेे पर आया जिसके बाद यहां पर लोग इस मनमोहक प्राकृतिक स्थल को जान व देख रहे हैं। पटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक 200 मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब 75 मीटर है। यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर आपस में जुड़े हुए हैं। जिसे देखकर लगता है इन्हें यहां किसी ने रखा हुआ है।
जतमई और घटारानी की सैर करने के लिए सभी मौसम अनुकूल है। बारिश के मौसम में आसपास का जंगल में हरियाली और ज्यादा बढ़ जाती है। और गर्मियों में हरियाली पेड़ की छाव और पानी आपका मन मोह लेगी। झरने का पानी और भी ज्यादा मनमोहक लगता है। इस झरने पर आकर पर्यटक नहाने का भी भरपूर मजा ले सकते हैं। घटारानी प्रपात तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच बनी सकरी सड़क है। जिसमें बताया जाता है कि जंगली जानवर भी हैं। जो कभी कभी यहां से गुजरने वाले पर्यटकों के वाहन के सामने आ जाते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए इन जगहों पर जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी तक है।