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CG News: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल में भड़की आग, ऑपरेशन थिएटर में मची खलबली, देखें वीडियो अस्पताल में मंगलवार की दोपहर न्यू ट्रामा के ओटी में आग लगने से अफरा-तफरी की स्थिति थी। मामले की जांच के
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने चार सदस्यीय कमेटी बनाई है। हालांकि दो कदम की दूरी पर डीन कार्यालय व अधीक्षक कार्यालय होने के बावजूद यह आर्डर अधीक्षक कार्यालय नहीं पहुंचा है। कमेटी ने अभी जांच भी पूरी नहीं की है। कमेटी जांच करेगी कि आग लगने का कारण क्या है? क्या खराब वायरिंग या शार्ट सर्किट तो जिम्मेदार नहीं है। कमेटी में ऑर्थो के एचओडी के अलावा सीसीयू प्रभारी, सहायक अधीक्षक व एक अन्य अधिकारी को रखा गया है।
पत्रिका रिपोर्टर सुबह 11.15 बजे न्यू ट्रामा सेंटर पहुंचा तो वहां अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर व अन्य कर्मचारी आगजनी के बाद ओटी व वार्ड का मुआयना कर रहे थे। घटना में दो एसी जले हैं। इसके अलावा कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। गनीमत ये है कि 22 बेड के दो वार्ड में पिछले कुछ माह से एक भी
मरीज भर्ती नहीं किया जा रहा है। पूरा वार्ड खाली था। ऐसा नहीं होने पर बड़ी दुर्घटना की आशंका थी। प्रबंधन आने वाले दिनों में दोनों वार्ड में मरीज भर्ती करेगा। पहले मेडिसिन के मरीजों को यहां भर्ती किया जाता रहा है। सेंट्रल एसी लाइन में खराबी के बाद वार्ड को बंद कर दिया गया। केवल मेजर ट्रामा ओटी में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की सर्जरी की जाती है।
इमरजेंसी में आने वाले 4 मरीजों की सर्जरी टली
न्यू ट्रामा के दोनों ओटी आगजनी से प्रभावित होने के कारण इमरजेंसी में आने वाले चार मरीजों की सर्जरी टल गई है। उनकी सर्जरी मेजर ओटी या जनरल सर्जरी की इमरजेंसी ओटी में करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल न्यू ट्रामा के ओटी में सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से हड्डी फ्रेक्चर वाले मरीजों का ऑपरेशन होता है। मेजर ओटी में रूटीन, प्लान वाली व बड़ी सर्जरी की जाती है। अस्पताल प्रबंधन इसके लिए जरूरी रास्ता निकालने की बात कह रहा है। ताकि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का तत्काल ऑपरेशन किया जा सके। ट्रामा सेंटर में माइनर ओटी है, जहां केवल टांके लगाने का काम हो रहा है।
एसडीआरएफ चीफ अजातशत्रु से स्टाफ को प्रशिक्षण देने की मांग
एसडीआरएफ एसपी अजातशत्रु सिंह बुधवार को अस्पताल पहुंचे। प्रबंधन ने उनसे फायर फाइटिंग के चार स्टाफ को ट्रेनिंग देने की मांग की। ताकि विपरीत परिस्थितियों में आगजनी की घटना से निपटा जा सके। प्रबंधन की मांग से स्पष्ट है कि चारों स्टाफ को खास ट्रेनिंग नहीं मिली है। इसके बावजूद मंगलवार को घटना के बाद ये कर्मचारी मौके पर मौजूद रहकर मदद करते दिखे। प्रबंधन ने अस्पताल की वायरिंग को ऑडिट करने की भी मांग की है। दरअसल अस्पताल 1996 में बना है। वायरिंग काफी पुरानी हो गई है। इसलिए इसे दुरुस्त करने की जरूरत है। अस्पताल को सीसीटीवी कैमरे के फायबर केबल के लिए ढाई लाख रुपए की स्वीकृति मिली है।