रायपुर

Women Pride: पढ़ाई कहीं छूट न जाए इसलिए घर छोड़ा, सपने पूरे कर बनीं आत्मनिर्भर

Women Pride: रायपुर में परिस्थितियों के आगे हार नहीं माननी चाहिए। अगर आप शिक्षित होंगे तो यही आपकी ताकत होगी। यह कहना है बलौदाबाजार के गांव चंडी की रहने वाली कमलेश्वरी साहू का।

रायपुरDec 08, 2024 / 02:00 pm

Shradha Jaiswal

Women Pride: सरिता दुबे. छत्तीसगढ़ के रायपुर में परिस्थितियों के आगे हार नहीं माननी चाहिए। अगर आप शिक्षित होंगे तो यही आपकी ताकत होगी। यह कहना है बलौदाबाजार के गांव चंडी की रहने वाली कमलेश्वरी साहू का। वह कहती हैं कि मुझे 70 फीसदी दिव्यांगता थी। 8वीं कक्षा तक तो पढ़ाई हो गई, लेकिन आगे पढ़ने के लिए गांव से दूर जाना था तो लगा कि कहीं पढ़ाई न छूट जाए, लेकिन तब रायपुर के महाराष्ट्र मंडल का साथ मिला व आत्मनिर्भर बनी।
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Women Pride: जहां से की पढ़ाई अब वहीं बनेंगी प्रबंधक

कमलेश्वरी कहती हैं कि महाराष्ट्र मंडल में रहकर पढ़ाई की अब यहां संचालित सखी निवास की प्रबंधक बनकर जिमेदारी पूरी करूंगी। वह 16 साल पहले मंडल के दिव्यांग बालिका गृह में पढ़ने आई थीं। यहां के माहौल ने उन पर सकारात्मक असर डाला।

गांव में शिक्षा के स्तर को सुधारना लक्ष्य

वह बताती हैं कि शहर में तो बच्चे पढ़ लेते हैं, लेकिन गांव के बच्चों को पढ़ाई में बहुत दिक्कतें आती हैं। गांव में पढ़ाई का स्तर सुधारने के साथ बच्चों को देश के प्रति उनकी जिमेदारी से रूबरू कराना लक्ष्य है। दिव्यांग बच्चियों के लिए गांव में ही मंडल जैसी संस्थाएं बन जाएं तो उन्हें शिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर होने से कोई रोक नहीं सकता।

खुद को किसी से कम न समझें

कमलेश्वरी कहती हैं कि लड़कियों को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। यदि हम जैसे लोगों को प्रोत्साहन के साथ एक अच्छा माहौल मिलता है तो हम भी किसी से कम नहीं हैं और इस बात को साबित किया है मेरी नियुक्ति ने। परिस्थिति कैसी भी रहें, हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए और आत्मनिर्भता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। अब 25 महिलाओं के निवास गृह का संचालन उनकी जिमेदारी होगा।

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