दरअसल, राइस मिलरों को अब विंग्स ऐप के जरिए स्टेक की बुकिंग करानी होगी। माने चावल किस गोदाम में पहुंचाना है, ये विंग्स ऐप डिसाइड करेगा। अब हो ये रहा है कि विंग्स नजदीकी गोदाम छोड़कर दूर-दराज के गोदामों में राइस मिलरों के लिए स्टेक बुक कर रहा है। ट्रांसपोर्ट का खर्च बचने की बजाय बढ़ गया है। सप्लाई में लेटलतीफी हो रही है, वो अलग। राइस मिलरों की मानें तो विंग्स ऐप में इतने तरह के कागजात अपलोड करने कहा जाता है, जिसे जमा कराते-कराते पसीने छूट रहे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तो ये है कि ऐप पर स्टेक बुक कराने के 48 घंटे बाद बुकिंग कैंसिल हो जा रही है। मिलरों को समझ नहीं आ रहा है कि वे करें तो क्या करें!
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विंग्स ऐप की नाकामी से परेशान राइस मिलरों ने गुरुवार को एफसीआई के जीएम देवेश यादव और डीजीएम से मुलाकात की। प्रदेश राइस मिलर एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया, इससे पहले ऐप्लीकेशन मिलरों के ट्रक को राज्य के किसी भी जिले में भेज दिया करता था। अब इसका रेंज जिले तक सिमटा है तो भी ट्रकों को दूर-दराज के एरिया में भेज रहा है। इससे मिलर खासे परेशान हैं।
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एफआरके का भुगतान भी जल्द करवाने की मांग की राइस मिलर एसोसिएशन ने बीते वर्षों के एफआरके का भुगतान भी जल्द से जल्द करवाने की मांग उठाई। जीएम ने माना कि विंग्स ऐप में अभी कुछ खामियां हैं। इन्हें कुछ ही दिनों में दूर कर लिया जाएगा। एफआरके को लेकर वर्तमान वर्ष में इस मद का भुगतान मासिक या स्टैक आधार पर करने की बात भी स्वीकारी। इस दौरान विजय तायल, प्रमोद जैन, चंदन शर्मा, विनोद अग्रवाल, मनीष केडिया, दिलीप अग्रवाल आदि मौजूद रहे।