स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह के बाद ही गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को भी कोविड संक्रमण का खतरा है। अधिकतर गर्भवती महिलाओं में एसिम्टोमेटिक लक्षण दिख सकते हैं। हल्के लक्षणों के बावजूद संक्रमण से उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है जो गर्भस्थ शिशु की सेहत पर असर डाल सकता है। उरला यूपीएचसी में टीकाकरण के दौरान बीरगांव नगर निगम आयुक्त श्रीकांत वर्मा, स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. मनोज वर्मन, शहरी कार्यक्रम प्रबंधक ज्योत्सना ग्वाल, स्वास्थ्य विभाग के मीडिया प्रभारी गजेंद्र डोंगरे आदि मौजूद थे।
गर्भवती को कब लगवाना है टीका
1. गर्भावस्था की किसी भी अवधि में।
2. गर्भवती को लगने वाले टीडी वैक्सीन के साथ या टीडी लगने के 15 दिन बाद लगाया जा सकता है।
किसको लगना है
– गर्भवती महिला जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो।
– अत्यधिक जटिलता वाली गर्भवती चिकित्सक से परामर्श लेकर कोरोना वैक्सीन लगवा सकती है।
किसे नही लगना है
– पूर्व में प्रथम टीका लगने के बाद जिसे कोई दुष्प्रभाव हुआ हो।
– किसी भी अन्य टीका से रिएक्शन हुआ हो।
– वर्तमान में कोविड-19 से ग्रसित हों और जो उपचारित हों।
– गर्भवस्था के दौरान यदि महिला कोरोना पॉजिटिव हो गई हो या तो उसे पहला टीका लगा है या नहीं लगा है, ऐसी स्थिति में डिलेवरी तक टीका न लगाएं। डिलेवरी के बाद टीका लगवाया जा सकता है।
रायपुर के जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. आशीष वर्मा ने कहा, गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए राज्य सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी है। उसी के अनुसार टीका लगाया जा रहा है। टीका लगने के बाद भी मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।