Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट का खतरनाक ट्रेंड
Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट एक साइबर अपराध है, जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति की सोशल मीडिया प्रोफाइल से जानकारी चुराकर उसे मानसिक रूप से परेशान करते हैं। अपराधी धमकी देते हैं कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे पीड़ित की तस्वीरें या जानकारी सार्वजनिक कर देंगे। यह अपराध न केवल मानसिक दबाव डालता है। बल्कि पीड़ित को सामाजिक बदनामी का डर भी सताता है। यह भी पढ़ें
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कैसे करते हैं ठगी?
सोशल मीडिया पर ठग आकर्षक नामों और प्रोफाइल तस्वीरों का इस्तेमाल करते हैं। ’प्ले ब्वॉय’ और ’प्ले गर्ल’ जैसे नामों से बनाए गए ये अकाउंट्स महिलाओं और पुरुषों को लुभाने के लिए होते हैं। अपराधी पहले दोस्ती करते हैं और धीरे-धीरे उनका विश्वास जीतते हैं। इसके बाद वे व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं या आर्थिक मदद के नाम पर पैसे की मांग करने लगते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस प्रकार के मामले हाल ही में तेजी से बढ़े हैं। ठग अक्सर अपनी प्रोफाइल को असली दिखाने के लिए नकली तस्वीरों और जानकारी का सहारा लेते हैं।ठगी व डिजिटल अरेस्ट में अंतर
इन दोनों अपराधों में बड़ा अंतर है। ठगी एक आर्थिक अपराध है, जिसमें अपराधी पैसे वसूलने का प्रयास करते हैं। वहीं, डिजिटल अरेस्ट में मानसिक शोषण के जरिए पीड़ित को परेशान किया जाता है। दोनों ही मामले गंभीर हैं और इनसे बचने के लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है।पुलिस की चेतावनी: साइबर ठगी से बचने की अपील
एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने साइबर ठगी के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। ठग वीडियो कॉल, लिंक या स्क्रीन रेकॉर्डिंग के जरिए धोखाधड़ी कर रहे हैं और आपकी व्यक्तिगत जानकारी चुराकर उसका दुरुपयोग कर सकते हैं। अनजान लिंक पर क्लिक न करें, संदिग्ध कॉल या वीडियो कॉल को नजरअंदाज करें। किसी भी ठगी का शिकार होने पर तुरंत साइबर सेल या पुलिस से संपर्क करें। साइबर अपराधियों पर सत कार्रवाई की जाएगी। सतर्कता ही सुरक्षा है।जागरुकता है जरूरी
साइबर एक्सपर्ट गोपिका बघेल ने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में जागरूक रहना सबसे बड़ा बचाव है। सिर्फ सरकार और पुलिस ही नहीं, बल्कि आम जनता को भी सतर्क रहने और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा करने की जरूरत है। डिजिटल युग में सुरक्षा उपाय अपनाकर ही अपराधों से बचा जा सकता है।कैसे बचें इस धोखाधड़ी से?
किसी अनजान से दोस्ती करने से बचें: सोशल मीडिया पर किसी भी अनजान व्यक्ति से निजी जानकारी साझा न करें। संदिग्ध अकाउंट को रिपोर्ट करें: अगर कोई अकाउंट आपको संदिग्ध लगे, तो तुरंत उसे रिपोर्ट करें। साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें: किसी भी प्रकार की ठगी या धमकी मिलने पर तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें। सुरक्षा सेटिंग्स का उपयोग करें: सोशल मीडिया अकाउंट्स की प्राइवेसी सेटिंग्स को अपडेट करें।