हिन्दू राष्ट्र की मांग पर सभी अपने पक्ष में गोल बनाने का प्रयास करेंगे, न्याय नहीं हो पाएगा। इसलिए आजादी के समय ही स्वामी करपात्री जी महराज ने कह दिया था कि भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बनेगा, बल्कि रामराज्य के आदर्श को अपनाया जाएगा। कंश व रावण के समय भी प्रजा खुश नहीं थी, लेकिन रामराज्य में इंसान, पशु-पक्षी सबके साथ न्याय होता था। इसलिए रामराज्य की स्थापना ही सही है, जो भी राजा इस रास्ते पर चला है, उसका कल्याण ही हुआ है।
हिन्दू राष्ट्र व रामराज्य में ज्यादा अंतर नहीं शंकराचार्य ने आगे कहा कि हिन्दू राष्ट्र व रामराज्य में ज्यादा अंतर नहीं है। हिन्दू राष्ट्र से ज्यादा हित हिन्दुओं का रामराज्य में है। ये सरकार के लिए बड़ा आसान है। बस एक प्रस्ताव की जरूरत है। संसद में सरकार प्रस्ताव लेकर आए। उसपर मतदान के बाद फैसला हो जाएगा। हिन्दूओं से भी रायसुमारी की जा सकती है कि वे ज्यादा रामराज्य के पक्ष में हैं या हिन्दू राष्ट्र के पक्ष में। देश में करीब 100 करोड़ हिन्दू हैं, जो चाहें तो फैसला कर सकते हैं। लेकिन हिन्दू बहुत सहनशील हैं।