साथ ही व्यवस्थापन के लिए शेष बचे हुए ग्रामीण क्षेत्रों को शीघ्र ही हटाने कहा। बैठक के दौरान बाघ और राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। बता दें कि इस समय प्रदेश के जंगलों में कुल 19 बाघ और सीतानदी उदंती एवं इंद्रावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र में करीब 25 से 35 वनभैंस हैं। बैठक में प्रमुख रूप से वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, अतुल शुक्ला, संजय शुक्ला, कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वी. श्रीनिवास राव, एपीसीसीेफ वाइल्ड लाइफ अरूण पाण्डेय सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इन गांव का होगा व्यवस्थापन
अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में आने वाले तिलाईडबरा, बिरारपानी तथा छिरहट्टा, अचानकमार, बिन्दावल तथा सारसडोल शामिल हैं। इसके अलावा छपरवा, लमनी, अतरिया-1, रंजकी, सुरही, अतरिया-2, बम्हनी, कटामी, जाकड़बाधा, निवासखार, महामाई, डगनिया और राजक गांव शामिल हैं। वहीं इसके पहले जल्दा, कूबा, बहाऊड़, बांकल, बोकराकछार तथा सांभरधसान का व्यवस्थापन किया जा चुका है। यह सभी गांव को हटाने के पहले ही सारी योजना बना ली गई थी। ग्रामीणों की सहमति के बाद सभी को शिफ्ट करने की कवायद चल रही है।
चिकित्सको को प्रशिक्षण
वन विभाग के 14 चिकित्सकों को निश्चेतना संबंधी प्रशिक्षण देने का कार्य आगामी 15 मई तक पूर्ण करने के लिए निर्देश दिए गए है। ताकि वन्य जीवों द्वारा आंतक मचाने और घायल होने पर उन्हे बेहोश कर उपचार किया जा सके। वहीं जंगलों में विचरण कर रहे हाथियों के रेडियो कॉलरिंग की कराई जा सके।