साल्ही की सरपंच रनियाबाई ने लिखकर दिया है कि हरिहरपुर और साल्ही गांवों में 24 और 27 जनवरी 2018 को हुई हैं ग्रामसभा में परसा कोल ब्लॉक के लिए सहमति प्रस्ताव नहीं दिया गया। सरपंच ने लिखा है कि उन तारीखों में जिस सहमति प्रस्ताव की बात की जा रही है, वह कंपनी और प्रशासन ने ग्रामसभा के फर्जी हस्ताक्षर करके किया है। दोनों गांवों के सवा सौ से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर के साथ कलक्टर को लिखित शिकायत देकर दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
दो बार प्रस्ताव नकार चुकी है ग्रामसभा : ग्रामीणों का कहना है कि हरिहरपुर की ग्रामसभा में 12 मार्च और साल्ही में 15 मार्च 2017 को खदान के लिए भूमि डायवर्सन का प्रस्ताव आया था। ग्रामीणों ने खदान के विरोध में प्रस्ताव पारित किया। उसके बाद 17 फरवरी 2018 को फिर प्रस्ताव आया। विरोध हुआ तो इसे भी वापस लेना पड़ा।
ऐसे सामने आया मामला : हसदेव अरण्य संघर्ष समिति के रामलाल करियाम ने बताया कि 26 जुलाई 2018 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आकलन समिति की बैठक के विवरण जब आए, तो पता चला कि वहां पेश दस्तावेजों में उनकी ग्रामसभाओं के सहमति प्रस्ताव शामिल हैं। सरपंच से पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। उसके बाद गांववालों की बैठक कर कलक्टर को शिकायत की गई।