पिछले 5 साल का ट्रेंड देखने से तो यही लगता है कि यहां सुपर स्पेशलिटी तो छोड़िए स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। ये भर्ती संविदा के लिए हो रही है। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसरों को हर माह 95 हजार, सीनियर रेसीडेंट को 75 व जूनियर रेसीडेंट को 45 हजार हर माह वेतन दिया जाता है। निजी अस्पतालों में इससे ज्यादा वेतन मिलता है। यही वेतन सुपर स्पेशलिटी विभागों के डॉक्टरों के लिए है इसलिए वे भी ज्वाइन करने से हिचकते हैं। कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली है। यही स्थित अंको सर्जरी विभाग में है। वहां मेडिकल अंकोलॉजिस्ट नहीं है।
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पद वही, लेकिन वेतन में अंतर Govt Job Vacancy : डीकेएस व आंबेडकर अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों के वेतन में काफी अंतर है। डीकेएस में अलग से ऑटोनाॅमस बॉडी है और यह प्रदेश का एकमात्र सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है। इसलिए वहां संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर को 1.15 लाख, एसोसिएट को 2 लाख व प्रोफेसर को ढाई लाख रुपए हर माह वेतन दिया जाता है। जबकि आंबेडकर अस्पताल में असिस्टेंट प्रोफेसरों को 95 हजार, एसोसिएट को 1.55 लाख व प्रोफेसर को 1.90 लाख रुपए वेतन दिया जा रहा है। डीकेएस का वेतन नियमित सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों से भी ज्यादा है। प्रदेश में बार-बार सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों के लिए अलग वेतन बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन इसमें शासन का अड़ंगा है। खाली पदों को भरने के लिए तीन माह बाद इंटरव्यू हो रहा है। अक्टूबर से आचार संहिता लगने के कारण इंटरव्यू नहीं हो पाया था। यह इंटरव्यू हर माह पहले या दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है।
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डीएमई कार्यालय में अटक गई है फाइल Requirement In Job Vacancy : सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों का वेतन बढ़ाने संबंधी फाइल अभी डीएमई कार्यालय में अटका हुआ है। हालांकि चुनाव के पहले एसीएस हेल्थ रेणु पिल्लै के कार्यालय में फाइल पहुंच चुकी थी। वहां से तीन राज्यों में मिलने वाले सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों का वेतन की जानकारी के लिए फाइल वापस डीएमई कार्यालय भेज दी गई है। अब खुद डॉक्टर तीन राज्यों में मिलने वाले वेतन को खंगाल रहे हैं। हालांकि वे पहले मध्यप्रदेश में डॉक्टरों को वेतन संबंधी जानकारी भेज रहे हैं, लेकिन शासन मध्यप्रदेश का वेतन स्वीकारने के बजाय अब तीन राज्यों का वेतन मंगाया है।