CG Film: सतीश जैन ने ‘मोर छैयां भुईयां’ बनाई और इसी के साथ कमर्शियल रीजनल सिनेमा की नींव पड़ी। बीच-बीच में डाउन फाल आया लेकिन कोई न कोई फिल्म ऐसी आती गई कि रीजनल इंडस्ट्री को नवजीवन मिलता गया। पीछे मुड़कर देखें तो 200 से ज्यादा फिल्में रिलीज हुई लेकिन इनमें से 90 फीसदी फिल्में कमाई तो दूर लागत तक नहीं निकाल पाई।
24 साल में संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है कि बैक टू बैक दो फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। पहली मोर छैयां भुईयां-2 और दूसरी हंडा। हालांकि ओवरऑल कलेक्शन के मामले में एमसीबी-2 ने हंडा को पीछे छोड़ दिया है।
Chhattisgarhi Film: हल्बी-गोंडी के बीच छत्तीसगढ़ी ने छोड़ी छाप
कोंडागांव जैसे क्षेत्र की बात करें तो वहां हल्बी, गोंडी और भरती बोली की प्रधानता है। बावजूद यहां छत्तीसगढ़ी फिल्में तीन से चार हफ्ते चल रही हैं। कोंडागांव क्षेत्र में शिक्षक और राइटर श्रवण मानिकपुरी बताते हैं, ‘ले सुरू होगे मया के कहानी’ के बाद जो भी फिल्में रिलीज हो रही हैं अच्छी चल रही हैं। पहले बमुश्किल एक सप्ताह चल जाए तो बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। एमसीबी-2 और हंडा ने अच्छा बिजनेस किया है। यह भी पढ़ें