अत्यंत दुर्लभ होने के कारण चौसिंगा को बाघ की तरह वन्य जीव संरक्षण अधिनियमए की अनुसूची.1 के तहत संरक्षित जीवों की सूची में रखा गया है। ट्रैप कैमरे में इस चौसिंगा की तस्वीर नजर आने से बस्तर में इसकी अच्छी खासी संख्या होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
बहुत खूबसूरत और शर्मिला प्राणी: चौसिंगा हिरणों की सभी प्रजातियों में बहुत खूबसूरत और शर्मिला प्राणी है। यह दिन में लोगों को देखकर घास में छुप जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टेटासेरस क्वाड्रिकारनिस है। इसकी ऊंचाई मात्र दो फीट और लंबाई एक मीटर होती है। यह दिनचर व एकांत प्रिय प्राणी है। कभी-कभी किशोर चौसिंगा के साथ तीन से चार की संख्या में देखे जा सकते हैं।
देश में लुप्तप्राय प्राणियों की श्रेणी में: चौसिंगा एशिया महाद्वीप के सबसे छोटे गोवंश प्राणियों में से एक है। इसके चार सींग होने के कारण इसे चौसिंगा कहते हैं। यह सींग केवल नरों में ही पाए जाते हैं। प्रायरू दो सींग कानों के बीच में और दो आगे की तरफ माथे में होते हैं। सींगों का पहला जोड़ा जन्म के कुछ माह में ही उग जाते हैंए जबकि दूसरा 10 से 14 माह में उगता है। सभी वयस्क नरों में सींग नहीं होते हैंए खासकर टेट्रासरस क्वाड्रिकारनिसए सबक्वाड्रिकारनिस उपजाति के नरों में ही होते हैं।
देश में लुप्तप्राय प्राणियों की श्रेणी में: चौसिंगा एशिया महाद्वीप के सबसे छोटे गोवंश प्राणियों में से एक है। इसके चार सींग होने के कारण इसे चौसिंगा कहते हैं। यह सींग केवल नरों में ही पाए जाते हैं। प्रायरू दो सींग कानों के बीच में और दो आगे की तरफ माथे में होते हैं। सींगों का पहला जोड़ा जन्म के कुछ माह में ही उग जाते हैंए जबकि दूसरा 10 से 14 माह में उगता है। सभी वयस्क नरों में सींग नहीं होते हैंए खासकर टेट्रासरस क्वाड्रिकारनिसए सबक्वाड्रिकारनिस उपजाति के नरों में ही होते हैं।