यहां बमुश्किल दो से ढ़ाई हजार कर्मचारी ही निवास कर रहे हैं, जबकि लेयर-1 के 13 गांवों की आबादी पर गौर करें तो इनकी संख्या लगभग 7 हजार है। इस तरह यदि गांवों को मिलाकर भी नई राजधानी में रहवासियों की आबादी का आंकलन करें तो 2011 के मास्टर प्लान में तय आबादी का 10 फीसदी हिस्सा भी नहीं है। नया रायपुर का मास्टर प्लान 10 साल पीछे चल रहा है। इस मामले में नया रायपुर विकास प्राधिकरण का दावा है कि नया रायपुर में 40 से 50 हजार की आबादी है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इसमें आने-जाने वाले अधिकारी-कर्मचाारियों की संख्या को भी जोड़ा जा रहा है, जबकि मंत्री से लेकर अधिकारी-कर्मचारी यहां सिर्फ काम करने आ रहे हैं, जबकि निवास रायपुर में ही है।