इससे संभावना जताई जा रही है कि आने वाली गर्मी में पानी के लिए ज्यादा परेशानी नहीं होगी। हालांकि रबी फसल के लिए बांधों से पानी छोड़ने का फैसला राज्य सरकार ही लेगी। इसके अलावा पेयजल और निरस्तरी के लिए ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।
यह भी पढ़ें: CG News: पनियाजोब जलाशय में मिला लापता युवक का शव, इलाके में फैली सनसनी छत्तीसगढ़ में 12 बांधों की गिनती बड़े जलाशयों में होती है। इसी के पानी का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। जबकि बहुत से मध्य और छोटे जलाशयों का पानी गर्मी में सूख जाता है। प्रदेश के पांच बड़े जलाशय ऐसे हैं, जिनमें 100 फीसदी जलभराव है। इनमें सिकासेर, खारंग बांध, मुरुमसिल्ली और कोडार डैम शामिल हैं। जबकि पिछली बार इन जलाशयों में 90 से 70 फीसदी ही जलभराव था। इसके अलावा 12 मध्यम बांध ऐसे हैं, जिनमें 100 फीसदी जलभराव है। वहीं बड़े जलाशयों में अरपा-भैंसाझार बांध ऐसा है, जिसमें सिर्फ 37.48 फीसदी जलभराव है। इससे आसपास के लोगों को गर्मी में दिक्कत उठानी पड़ सकती है।
औसत से ज्यादा बारिश
छत्तीसगढ़ में इस बार औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई है। पिछले 10 सालों में प्रदेश के जिलों में 1106 मिलीमीटर औसत वर्ष होती है। जबकि इस बार 1100 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई है। राज्य के विभिन्न जिलों में 1 जून 2024 से अब तक रिकार्ड की गई वर्षा के अनुसार बीजापुर जिले में सर्वाधिक और बेमेतरा जिले में सबसे कम औसत वर्षा दर्ज की गई है।दो साल से ज्यादा अच्छी
यदि हम बांधों में पिछले तीन साल में हुए जलभराव के आंकड़ों को देखे तो इस वर्ष सबसे अच्छी स्तिथि में है। वर्ष 2022 में बांधों में 87.37 फीसदी पानी था। वर्ष 2023 में जलभराव कम हुआ तो 2024 में जलभराव का आंकड़ा बढ़ा है। प्रदेश के छोटे बड़े बांधों में 88.08 फीसदी जलभराव हुआ था। जबकि वर्ष 2023 में 79.35 फीसदी ही जलभराव हुआ था।छत्तीसगढ़ के प्रमुख बांध
मिनी माता बांगो डैम-88.26 रविशंकर सागर जलाशय -86.27 तांदुला -83.48 दुधावा -98.80 सिकासेर -100.00 खारंग बांध -100.00 सोंढूर -74.76 मुरुमसिल्ली -100.00 कोडार डैम – 55.13 मनियारी- 100.00 केलो- 66.31 अरपा-भैंसाझार-37.48