रायपुर

राज्य में 4000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट ही नहीं! ऐसे में कैसे कोई बेटियों को स्कूल भेजें?

CG Girls School: रायपुर में एक ओर सरकारों की तरफ से बेटी बचाव-बेटी पढ़ाओ के नारे दिए जाते हैं, दूसरी तरफ असलियत यह है कि सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं ही शर्मसार करने वाली हैं।

रायपुरJan 23, 2025 / 04:15 pm

Shradha Jaiswal

CG Girls School: अनुराग सिंह. छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक ओर सरकारों की तरफ से बेटी बचाव-बेटी पढ़ाओ के नारे दिए जाते हैं, दूसरी तरफ असलियत यह है कि सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं ही शर्मसार करने वाली हैं। छात्राओं के लिए वॉशरूम या टॉयलेट तक नहीं है। ऐसे में कैसे कोई बेटियों को स्कूल भेजें?
हाल ही में जारी हुई यूनिफाइड डिस्ट्रीक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई ) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के चार हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग वॉशरूम नहीं है। ऐसे में उन्हें 5 से 6 घंटे स्कूल में बिताना मुश्किल हो जाता है। यह व्यवस्था एक तरह से बेटियों पर अत्याचार ही है। जहां उन पर शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव भी पढ़ता है।
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CG Girls School: सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं ही शर्मसार

वहीँ कई छात्राओं के स्कूल छोड़ने या नहीं जाने की बड़ी वजह भी यही हो सकती है। कई स्कूल ऐसे भी हैं, जहां गर्ल्स और बॉयज के लिए एक ही टॉयलेट है। इसके चलते भी छात्राएं रोज शर्मसार होती है। देश के 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में इनकी स्थिति 12वें नंबर पर हैं, जहां गर्ल्स के लिए टॉयलेट नहीं हैं।
राज्य में संचालित 56 हजार 615 स्कूलों में से 54 हजार 715 में लड़कियों के लिए टॉयलेट तो हैं, लेकिन 52 हजार 545 टॉयलेट ही उपयोग करने की दशा में है। वहीं, छात्रों के लिए भी ऐसी ही स्थिति है, इनके लिए 53 हजार 142 स्कूलों में टायलेट तो हैं, लेकिन 49 हजार 355 चल रहे हैं। यानी 4070 स्कूल में गर्ल्स के लिए और 7260 में ब्वॉज के लिए नहीं है।

टॉयलेट..

यह बहुत बड़ी समस्या है और दु:खद भी है। राज्य में बहुत सारे स्कूल हैं, जहां लड़कियों के लिए टॉयलेट नहीं हैं। इसमें प्रमुखता से तीन तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं, पहला- लड़कियां सातवीं के बाद स्कूल छोड़ना शुरू कर देती हैं। दूसरा- किशोरावस्था में जब मासिक धर्म शुरू होता है तो लड़कियां उस समय टॉयलेट न होने के कारण स्कूल में अनुपस्थित रहती हैं, जिससे उनके शिक्षा प्रभावित होती है।
तीसरा- स्कूल में टॉयलेट न होने के कारण लड़कियों को मजबूरी में आसपास किसी सुनसान जगह जाना पड़ता है। जिसके कारण वे असुुरक्षित हो जाती है जो मानसिक रूप से ठीक नहीं है। स्कूल में टॉयलेट का होना बहुत जरूरी है। इस दिशा में प्राथमिकता से काम करना चाहिए। डॉ. जवाहर सूरीशेट्टी ने कहा की टीनएज में स्कूल छोड़ने का एक कारण यह भी

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