वहीं भाजपा ने उन्हीं चेहरों पर दांव खेला जो विधायक पद पर थे या फिर वर्ष 2013 का चुनाव हार गए थे। कांग्रेस का नए चेहरों पर दांव खेलना और चुनाव मैदान में उतारना राजनीतिक रूप से फायदेमंद रही। उन्होंने अपनी ऊर्जा का पूरा-पूरा उपयोग उम्मीदवारों ने किया। नतीजा हम सबके सामने है। इसका फायदा कांग्रेस को मिला।
यह भी पढ़ें
मोदी की गारंटी सिर्फ बेरोजगारी, कांग्रेस शासित सरकारों को गिराने की चल रही साजिश : खरगे
बिलासपुर की राजनीति Chhattisgarh Election: बिलासपुर जिले में भाजपा पार्टी ही मजबूत हैं। चुनाव में कांग्रेस ने 6 में से 5 सीटों पर नए चेहरे को चुनाव मैदान में उतारा था। जिनमें बिलासपुर से शैलेष पांडेय, बिल्हा से राजेंद्र शुक्ला, तखतपुर से रश्मि सिंह, बेलतरा से राजेंद्र साहू, कोटा से विभोर सिंह व मस्तूरी से दिलीप लहरिया ने अपना दम दिखाया था। इन नए चेहरों ने काफी हद तक कांग्रेस को लाभ दिलाया और तखतपुर से रश्मि सिंह और बिलासपुर से शैलेष पांडेय ही चुनाव जीतने में सफल रहे। मुंगेली में नहीं चला कांग्रेस का दांव Chhattisgarh Election: बिलासपुर जिले के दो विधानसभा क्षेत्र मुंगेली और लोरमी ने कांग्रेस अपना खता नहीं खोल पाई। इन सीटों पर भाजपा ने ही अपना कब्जा जमा लिया। जहां मुंगेली विधानसभा से भाजपा के पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहले और लोरमी से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के धर्मजीत सिंह ने चुनाव में परचम लहराया।
यह भी पढ़ें
CM बघेल की बड़ी घोषणा, इन 17 ग्राम पंचायतों को मिला नगर पंचायत का दर्जा, अब तेजी से होगा विकास
कोरबा जिले की ऐसी थी राजनीति Chhattisgarh Election: जिले की राजनीति कांग्रेस व भाजपा के दो ही दिग्गज नेता ननकीराम कंवर और जयसिंह अग्रवाल के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है। भाजपा लगातार नए चेहरों को मैदान में उतारते आ रही हैं लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई। बता दें कि कोरबा से जयसिंह अग्रवाल और रामपुर विधानसभा से ननकीराम कंवर लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं। वहीं रामदयाल उइके लगातार दो बार विधायक निर्वाचित हुए। जिसके बाद वे भाजपा पार्टी में हो गए। परिस्थितियां बदली और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चंद्रपुर की बदली तस्वीर Chhattisgarh Election: बात करें चंद्रपुर की तो यहां की राजनितिक तस्वीर अकलतरा विधनसभा की तरह बदलते हुए दिखी। साल 2013 में बसपा ने रामकुमार यादव को प्रत्याशी बनाया था। वहीं बीजेपी ने युद्धवीर सिंह की जगह उनकी पत्नी संयोगिता सिंह को टिकट दिया था। जिसमें बसपा ने जित हासिल की थी। वहीं साल 2018 में चंद्रपुर विधानसभा में चेहरा वही था, बस पार्टी बदल गई थी। जीत के बाद रामकुमार यादव ने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा और मैदान में उतरे। जिसमें उन्होंने दूसरी बार जित हासिल की।
यह भी पढ़ें