कॉमेडी से भरपूर छत्तीसगढ़ी प्ले में दर्शकों ने जमकर ठहाके लगाए। इस प्ले के जरिए संदेश दिया गया कि लड़का-लड़की में भेद न किया जाए। ईश्वर ने जो भी दिया उसकी कद्र करें और उनकी अच्छी परवरिश कर काबिल इंसान बनाएं। नाटक के लेखक सुनील राज हैं। यह बुंदेलखंडी प्ले का छत्तीसगढ़ी रूपांतरण है जिसे रोहित भूषणवार ने डायरेक्ट किया।
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बेटे ही नहीं, बेटियां भी प्रॉपर्टी की हकदार Daughters are also entitled to property : प्ले में पिता (दद्दा) अपनी पूरी प्रॉपर्टी बेटे घनश्याम के नाम ना करके उसके होने वाले बेटे के नाम कर देते हैं और मर जाते हैं। इधर, घनश्याम को तीन बेटियां हो जाती हैं। घनश्याम परेशान है और वह पत्नी को कोसता रहता हैं। एक बार वह नशे में अपने स्व. पिता से बेटा होने का वरदान मांगता है जो कि उसे भैरव बाबा के मंदिर के पास आत्मा के रूप में मिलते हैं। दद्दा यमदूत से वरदान लेकर घनश्याम को दे देते हैं और गलती से घनश्याम ही प्रेग्नेंट हो जाता है। Son’s husband became pregnant : कहानी हंसी-ठिठोली में इसी के इर्द गिर्द पूरी कहानी घूमती है। घनश्याम के होने वाले बच्चे को कोई लेने को तैयार नहीं होता। चूंकि पत्नी भी प्रेग्नेंट है। आखिर (Son’s husband became pregnant) में पिता को समझ में आता है कि बेटा और बेटी एक समान होते हैं। प्रॉपर्टी का हकदार केवल बेटा नहीं बल्कि बेटियां भी होती है। पिता अपनी वसीयत बदलने के लिए मान जाते हैं।
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इन्होंने निभाए किरदार – पिता: रोहित भूषणवार,– घनश्याम: नीलेश पटेल,
– रुक्मिनी: पूनम गटकरी,
– यमदूत: अथर्व,
– बोचकू: शुभ्रत शर्मा,
– चुचरू: सनी वाधवा,
– चाची: दिव्या राज
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