राजिम. कमलक्षेत्र के आराध्य देवी मां महामाया का स्वरूप प्रतिदिन दमक रहा है। नौ दिनों के लिए देवी मां अलग-अलग रूपों में विराजमान हो रही है। मंदिर के पुजारियों के द्वारा आकर्षक पोशाक देवी मां को पहनाया जा रहा है। बता दें कि यह प्राचीन कालीन मंदिर के गर्भगृह में दो देवियां एक साथ विराजमान हैं। आदिशक्ति मां महामाया करीब साढ़े तीन फीट ऊंची है। माता का स्वरूप अत्यंत मनमोहिनी तथा मुस्कुराकर अपने भक्तों के ऊपर कृपा बरसा रही है। इस विग्रह से लगा हुआ तकरीबन दो हाथ की दूरी पर मां काली की शैल मूर्ति मौजूद है। इनकी ऊंचाई भी लगभग इन्हीं के बराबर है। इनका दर्शन आईना के माध्यम से किया जाता है, चूंकि गर्भगृह के मुख्य द्वार से सीधे मां महामाया का दर्शन होता है। मां काली का दर्शन करने के लिए नजर घूमानी पड़ती है। जनश्रुति है कि प्राचीनकाल में घनघोर जंगल मौजूद था, तब देवी माता प्रकट हुई उस समय इनका स्वरूप विकराल तथा पूर्वाभिमुख था। बताया जाता है कि साधारण मनुष्य उनके स्वरूप को देख नहीं पाते थे, तब साधु-संतों की राय के अनुसार ऊपर से मां महामाया के स्वरूप को बदला गया और पुर्वाभिमुख से पश्चिमाभिमुख हो गया। महामंडप में घंटियों की झंकार से भक्तिभावना प्रगाढ़ होती है। मंदिर के सामने दो सिंह बैठे हुए हैं। मां महामाया शीतला प्रबंध समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न धीवर ने बताया कि कोरोनाकाल को देखते हुए जिला प्रशासन के गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। मां महामाया भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाती है। कई चमत्कारिक घटनाएं घटित हो चुकी है जिससे भक्तों की आस्था इस मंदिर के प्रति कूट-कूट कर भरी हुई है। उल्लेखनीय है कि वासंती चैत नवरात्र पर 452 ज्योति कलश प्रज्वलित किया गया है। दिन शनिवार को पंचमी पर देवी मां का विशेष रूप से सिंगार किया गया तथा पूजन अनुष्ठान से माहौल भक्तिमय हो गया। ज्ञातव्य हो कि कोरोनावायरस के बढ़ते प्रभाव के कारण श्रद्धालु मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं। घर से ही माता के भक्ति कर रहे हैं। प्रतिदिन देवी मां अलग-अलग स्वरूप धारण करती है। आज पंचमी के अवसर पर कात्यानी के रूप में मां की पूजा-अर्चना हुई। कहा जाता है कि इस दिन मां को प्रसन्न करने से उनकी कृपा से मूड भी ज्ञानी हो जाता है। कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान बाल रूप में विराजित है। इस देवी की चार भुजाएं हैं।