यह भी पढें : Rain Alert : बारिश का कहर! खेत में गिरी भयानक बिजली, काम कर रहीं 3 महिलाएं झुलसी भगवान श्रीकृष्ण से पहले योगमाया का प्राकट्य हुआ था। इसलिए 6 सितंबर की रात 11 बजे प्राचीन सिद्धपीठ मां महामाया देवी मंदिर में पुरानी बस्ती में योगमाया का प्राकट्य महोत्सव मनाया जाएगा। मातेश्वरी की पंचामृत से अभिषेक कर नूतन वस्त्रों से सिंगार, सजावट सहित झांकी की आरती उतारी जाएगी।
यह भी पढें : धूम-धाम से मनाया गया तीज महोत्सव, मुंबई के रॉकिंग डांस ग्रुप ने दी शानदार प्रस्तुति, देखें वीडियो कहीं 6 तो कहीं 7 सितंबर को जन्माष्टमी महोत्सव मनाने की तैयारी है। टाटीबंध के इस्कॉन मंदिर में तीन दिवसीय महोत्सव है तो समता कॉलोनी के राधाकृष्ण मंदिर में दो दिवसीय महोत्सव की धूम रहेगी। सभी मंदिरों को सजाया जा रहा है।
जन्मोत्सव को लेकर कोई संशय नहीं महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ल के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर कोई संशय नहीं है। क्योंकि, शास्त्रों में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र ही शास्त्र सम्मत है। अर्था ंत 6 सितंबर बुधवार को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होगी।
यह भी पढें : हल्की बारिश में भरभराकर गिर गया मिट्टी का मकान, गिरने से एक की मौत, दो घयाल इससे पहले इस दिन सुबह 9.19 बजे से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होकर 7 सितंबर को सुबह 10.24 बजे तक रहेगा। जबकि इस दिन गुरुवार को शाम 4.15 मिनट तक ही अष्टमी तिथि है। इसलिए तिथि व नक्षत्र दोनों ही इस बार 6 सितंबर बुधवार को ही पड़ रहा है। इसलिए समस्त स्मार्त अर्थात गृहस्थजनों के लिए जन्माष्टमी व्रत पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।
वैष्णव सम्प्रदाय उदयातिथि मानता है पंडित शुक्ल के अनुसार वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी उदयातिथि को मानते हैं। इसलिए 7 सितंबर गुरुवार को जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। पूजा: रात 11.17 से मध्यरात्रि तक श्रेष्ठ
शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख ज्योतिषी इंदुभवानंद के अनुसार लड्डू गोपाल की पूजा का समय 6 सितंबर रात 11.17 बजे से मध्यरात्रि 12. 3 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस शुभ अवसर पर हर्षण योग रात्रि 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन और रवि योग सुबह 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इन सभी शुभ योग को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। विष्णु धर्मोत्तरपुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जब रोहिणी नक्षत्र से संयुक्त होती है तो उसे कृष्ण जयंती योग कहा जाता है। यह तिथि समस्त पापों का हरण करने वाली होती है।