कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष त्रिवेदी ने कहा, कांग्रेस के पदाधिकारियों ने फोरम ऑफ रेगुलेटरर्स की रिपोर्ट के आधार पर कहा, पावर परचेज कास्ट में कोयला 25 प्रतिशत, रेल भाड़ा 41 प्रतिशत, सड़क परिवहन 11 प्रतिशत, क्लीन एनर्जी सेस 11 प्रतिशत और अन्य वेरियेवल 12 प्रतिशत होते हैं। क्लीन एनर्जी सेस जून 2010 में 50 रुपए प्रति टन से मार्च 2016 तक 400 रुपए प्रति टन हो चुका है। यह वृद्धि केंद्र सरकार द्वारा की गई है। कोयले की कीमतें केंद्र सरकार द्वारा ही 13 प्रतिशत से 18 प्रतिशत बढ़ा दी गई है। जनवरी 2018 में 21 प्रतिशत और नवंबर 2018 में 9 प्रतिशत रेल भाड़ा बढ़ाया गया। इसलिए पूरे देश में महंगी बिजली के लिए भाजपा की केंद्र सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार में ढाई साल में मात्र 3.30 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोतरी की है। पूर्ववर्ती सरकार के प्रत्येक वर्ष के बढ़ोतरी को देखा जाए तो 6 प्रतिशत से ज्यादा है। आज अगर रमन भाजपा की सरकार होती तो 400 यूनिट तक की बिजली के बिल के लिए आम जनता को 3200 से अधिक खर्च करने पड़ते।
दनादन का शौक है तो मोदी के पास दिल्ली जाए
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन ने भाजपा नेताओं के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, विद्युत शुल्क बढ़ाने वाली सरकार की ईंट से ईंट बजाने की बातें करके भाजपा नेता अपनी फितरत और चाल चरित्र प्रमाणित कर रहे है। पहले आवेदन फिर निवेदन और फिर दे दना दन की बात करने वाली भाजपा को दनादन करने का शौक है तो दे दना दन करने के लिए मोदी जी के पास दिल्ली जाए। क्योंकि बिजली में मूल्य वृद्धि के लिए सारे कारक मोदी सरकार द्वारा बढ़ाए जा रहे हैं।